रात ढल रही है….
रात ढल रही है….
ये रात फिर ढल रही है
तेरे ख़्वाबों के नाम होकर
मैं आज फिर डूबा हूँ
तिरी यादों के समन्दर में
मेरे तकिये की कोर
फिर भीगी है आज
मैं ख़ुद अपने आँसुओं की
बारिश के अन्दर हूँ
मैं तिरी...
ये रात फिर ढल रही है
तेरे ख़्वाबों के नाम होकर
मैं आज फिर डूबा हूँ
तिरी यादों के समन्दर में
मेरे तकिये की कोर
फिर भीगी है आज
मैं ख़ुद अपने आँसुओं की
बारिश के अन्दर हूँ
मैं तिरी...