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सवेरा
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
सूरज निकल रहा प्रात: होने वाला है ।।
पक्षियों के गुंजन से खुशहाली आई है
खेतों में हर तरफ हरियाली सी छाई है
आलस्य त्याग उठ, आनंदित इस बेला में
देख रवि ने हर दिशा में किरणें बिखराई है।।
मंद शीतल हवाओं ने शीतलता लुटाया है
दिनकर अपने तेज से रौशनी फैलाया है
अब तो जागो तुम अपनी गहरी नींद से।
अंधेरी रात के बाद सृष्टि में नया सवेरा आया है।।
Ruchi Arun...✍️✍️
© All Rights Reserved
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
सूरज निकल रहा प्रात: होने वाला है ।।
पक्षियों के गुंजन से खुशहाली आई है
खेतों में हर तरफ हरियाली सी छाई है
आलस्य त्याग उठ, आनंदित इस बेला में
देख रवि ने हर दिशा में किरणें बिखराई है।।
मंद शीतल हवाओं ने शीतलता लुटाया है
दिनकर अपने तेज से रौशनी फैलाया है
अब तो जागो तुम अपनी गहरी नींद से।
अंधेरी रात के बाद सृष्टि में नया सवेरा आया है।।
Ruchi Arun...✍️✍️
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