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हम सुनाई देंगे, हम दिखाई देंगे
हम सुनाई देंगे अक्सर उन चींखो में ,
जो चींख चींख़ कर न्याय मांग रही है !
हम दिखाई देंगे अक्सर उस भीड़ में ,
जो दर्द में चींख रही है कराह रही है चिल्ला रही है !
हम सुनाई देंगे अक्सर उन मासूम बच्चों की सिसकियों में ,
जो भूख और प्यास से तड़प रहे हैं !
हम दिखाई देंगे अक्सर उस भीड़ में ,
जो हुक़ूमत से रोटी,कपड़ा, मकान मांग रही है !
हम सुनाई देंगे अक्सर उस भीड़ की आवाज़ में ,
जो हुक़ूमत से सीधे सवाल जवाब कर रही है !
हम दिखाई देंगे अक्सर उन मुरझाए चहरो में ,
जिनके चहरे की खुशी वक्त की मार ने छीन ली !
हम सुनाई देंगे अक्सर उन गीतों में ,
जिन गीतों में भगत सिंह सुनाई देते हैं !
हम दिखाई देंगे अक्सर उन किसानों मजदूरों की भीड़ में ,
जो अपनी फसल और मजदूरी के लिए हुक़ूमत से जांग लड़ रही है !
हम सुनाई देंगे अक्सर जेलों की उन काल कोठरियों में ,
जिनमे रुक रुक कर "इंकलाब जिंदाबाद" की गूंज सुनाई देती है !
हम दिखाई देंगे अक्सर उन लाशों के अंबार में ,
जिन पर बेरहम हुक़ूमत की गोलियां चली है !
हम सुनाई देंगे अक्सर उन दर्द भरी चींखों में ,
जो बेरहम पुलिस की लाठियों का सबूत दे रही है !!
-// सुनील तंवर
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