...

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"रब"
"रब" तो सब में है
हम सब
"रब" के बीना
कुछ भी नहीं
फिर भी
हम अपनी अपनी
पहचान बनाने में जुटे हैं
अपना घर-अपना परिवार
मेरा धन -मेरी जमीन
भौतिक सुखभोग सहकार
कहां है सच्चा प्यार ?
"रब" सब में
सब का "रब" ही आधार
फिर भी
सब का
अपना अपना विचार
भवबंधीत भ्रम में भटकते
लोगों को
नहीं सुनाई देती
अंतर्मन "रब" कि पुकार
"रब" तो सब में है
हम सब
"रब" के बीना
कुछ भी नहीं
फिर भी
हम अपनी अपनी
पहचान बनाने में जुटे हैं
© आत्मेश्वर