...

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हमारे नानाजी
आज फिर छलक आये आंसू उस शख्शियत की याद में ,
आज फिर याद आयी उस शख्स की ,
जिसके चर्चे थे गली - गली .
गरीब - अमीर का था जिसको ज्ञान नहीं ,
उसे जात - पात का भेद नहीं |
पहनावे में पहनते वे धोती ,
सादा - जीवन फटी जूती ,
यही उनकी नीति |
चला गया गाँव का वो बुलंद सितारा ,
समाज पर समर्पित था जिसका जीवन सारा |
दिल से शुक्रिया उस कलाकार को ,
जिन्होंने जीवंत किया उनकी तस्वीर को|

नानाजी आप बहुत याद आते हैं ,
नाम आपका इस जुबां से जाता नहीं है |
आपकी तस्वीर देखकर आपसे बातें करने को मन आतुर होता है ,
आपकी तस्वीरों से तो अक्सर बातें होती हैं ,
हमें ज़रूरत हैं आपकी , कमी खलती है आपकी ,
आज भी हमारी आँखे नम हैं ,
नानाजी आप लौटेंगे ना ???

© Varsha Kanwar