नया दौर
बो दिन अब नही रहे
ज़ब शायरी महलो की शान हुआ
करती थी
अब वो महलो का ज़माना तो न जाने कहा गया.. लेकिन शायरी और नजमे अब शहर की हर गली
कुछे की महफिलो में सुनी और सुनाई जाने लगी है
ज़ब शायरी महलो की शान हुआ
करती थी
अब वो महलो का ज़माना तो न जाने कहा गया.. लेकिन शायरी और नजमे अब शहर की हर गली
कुछे की महफिलो में सुनी और सुनाई जाने लगी है
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