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भूतिया हवेली
### भूतिया हवेली की कहानी

गाँव के किनारे एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग "भूतिया हवेली" के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहाँ कई साल पहले एक अमीर जमींदार रहता था, जो अचानक एक दिन रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। उसके बाद से ही हवेली में अजीबो-गरीब घटनाएँ होने लगीं। हवेली के आसपास रहने वाले लोगों का मानना था कि जमींदार की आत्मा अब भी वहाँ भटक रही है।

हवेली के बाहर एक बड़ा, धूल भरा बगीचा था, जिसमें झाड़ियों ने हर चीज़ को ढक रखा था। हवेली का मुख्य दरवाजा भारी लकड़ी का बना हुआ था, जिसमें अब भी पुराने समय की कारीगरी की झलक मिलती थी। लेकिन दरवाजे पर लगे जंग लगे ताले और टूटे हुए खिड़की के शीशे हवेली की वीरानगी की कहानी बयान कर रहे थे।

### साहसिक किशोर

रवि और उसके दोस्त अनिल और सुनील हमेशा से ही एडवेंचर के शौकीन थे। तीनों ने मिलकर कई बार खंडहरों और जंगलों में रोमांचक सफर किए थे। भूतिया हवेली की कहानियाँ उन्होंने भी कई बार सुनी थीं, लेकिन उन्होंने इसे हमेशा एक अफवाह ही माना था। एक दिन, उन्होंने तय किया कि वे इस रहस्य को खुद जाकर सुलझाएँगे।

### हवेली के अंदर

तीनों दोस्त एक रात चुपचाप हवेली की तरफ चल पड़े। रात का सन्नाटा और चमगादड़ों की आवाज़ ने माहौल को और भी भयावह बना दिया था। हवेली के पास पहुँचकर रवि ने अपनी टॉर्च निकाली और ताले को तोड़ने की कोशिश की। थोड़ी मशक्कत के बाद ताला टूट गया और तीनों अंदर चले गए।

हवेली के अंदर की दीवारें धूल और जालों से भरी हुई थीं। सीढ़ियाँ लकड़ी की बनी हुई थीं, जो अब सड़ चुकी थीं और किसी भी वक्त टूट सकती थीं। लेकिन तीनों ने अपनी हिम्मत बनाए रखी और ऊपर की ओर बढ़ते गए।

### रहस्यमयी आवाज़ें

उपर पहुँचकर उन्हें एक बड़ा हॉल मिला, जहाँ कई पुराने फर्नीचर टूटे-फूटे हालत में पड़े थे। तभी अचानक एक कोने से धीमी-धीमी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। तीनों ने चौकन्ना होकर इधर-उधर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। सुनील ने कहा, "शायद ये हमारी कल्पना है, चलो आगे बढ़ते हैं।"

### तहखाने का राज

हॉल के एक कोने में एक छोटा सा दरवाजा था, जो शायद तहखाने की ओर जाता था। दरवाजा खोलते ही उन्हें सीढ़ियाँ दिखीं, जो अंधेरे में नीचे की ओर जाती थीं। तीनों ने धीरे-धीरे सीढ़ियाँ उतरना शुरू किया। तहखाने में पहुँचकर उन्होंने देखा कि वहाँ कई पुराने बक्से और कागजात रखे हुए थे।

### जमींदार की आत्मा

तभी अचानक एक ठंडी हवा का झोंका आया और एक साया सामने दिखाई दिया। तीनों दोस्त डर के मारे सहम गए। साया धीरे-धीरे स्पष्ट हुआ और उसमें एक आदमी की आकृति उभरने लगी। वह जमींदार की आत्मा थी। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "डरो मत, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"

### रहस्य का खुलासा

जमींदार की आत्मा ने बताया कि उसकी हत्या उसके ही नौकरों ने की थी, जिन्होंने उसकी संपत्ति हड़पने के लिए यह षड्यंत्र रचा था। उसकी आत्मा अब भी न्याय की आस में यहाँ भटक रही है। तीनों दोस्तों ने साहस जुटाकर पूछा, "हम आपकी कैसे मदद कर सकते हैं?"

### न्याय की प्रक्रिया

आत्मा ने कहा कि अगर वे गाँव के बुजुर्गों को सच्चाई बताएँ और पुलिस को सबूत दें, तो शायद उसे न्याय मिल सके। तीनों ने आत्मा से वादा किया कि वे यह काम ज़रूर करेंगे।

### गाँव का विश्वास

अगले दिन, तीनों दोस्त गाँव के बुजुर्गों के पास गए और सारी कहानी बताई। पहले तो किसी ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने तहखाने से मिले सबूत पेश किए, तो सबके होश उड़ गए। पुलिस ने मामले की जांच की और जमींदार के नौकरों को गिरफ्तार कर लिया।

### आत्मा की मुक्ति

न्याय मिलने के बाद, हवेली में अजीब घटनाएँ होना बंद हो गईं। जमींदार की आत्मा को शांति मिली और उसने हवेली छोड़ दी। अब गाँव वाले उस हवेली को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में देखते हैं, जिसमें कभी एक रहस्यमय कहानी छिपी हुई थी।

### निष्कर्ष

रवि, अनिल और सुनील की हिम्मत और साहस ने एक पुरानी गुत्थी को सुलझाया और एक आत्मा को मुक्ति दिलाई। उनकी कहानी अब गाँव के हर बच्चे को सुनाई जाती है, जो बताती है कि सच्चाई की खोज कभी भी व्यर्थ नहीं होती।
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