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क्या प्रेम समर्पण संग्रह ही अन्त बन सकता ।।है।।
हां प्रेम समर्पण संग्रह ही अन्त है वहीं मोक्ष है जो अन्त के बाद मिल सकेगा मगर क्या श्रृष्टि का अन्त निशिचित है और क्या कालचक्र का सामापन होगा तो यह दो अलग-अलग विषयों पर है।। इसलिए हम बारीकी से इसे जानेंगे मगर इसमें एक अंग सक्रमित होने के कारण ही प्रेम समर्पण ना मिलने के कारण समर्पण संग्रह पूरा नहीं हो पाता है और कही ना कही समर्पित भाव का फल ना पाने की लालशा में बार मनु इच्छा ग्रस्त रोगिन होने पर इस गाथा में शामिल होकर विलीन दिखाई देता है।। और कालबीज बनते ही रहते हैं। यह संभव है कि श्रृष्टि यात्रा पूर्ण हो जाए लेकिन कर्म यात्रा काभी पूर्ण नहीं होती है क्योंकि सम्पण प्राप्त नहीं होता है।।
समर्पण संग्रह हमेशा अपूर्ण रह जाता जो कि समय के चलते रहने और कर्म यात्रा बाधित ना होने का सबसे बड़ा कारण है।। इस लिए समर्पण संग्रह ही अनन्त है।।