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गंतव्य

घर जाने की तैयारी हो रही थी। सब काम में व्यस्त थे। अवंतिका अपने ऑफिस के कागज को बैग में डाल रही थी। लड़की बड़ी मेहनती और महत्तवाकांक्षी थी। आखिर क्यों ना हो अकेले है अपने भाई और मां की देखभाल करती थी। पिताजी उसके बचपन में ही नशे के कारण परलोक सिधार गए थे। लेकिन अब समस्या यह थी कि उसका भाई भी इन रास्तों में भटक रहा था। आज अवंतिका और यश(भाई) का खूब झगड़ा हुआ क्यूकी वो जाना नहीं चाहता था । मार पीट भी की बहन के साथ। लेकिन अवनतिका अपने भाई को गंदे दोस्तो से कुछ दिन के लिए अलग करना चाहती थी। और दीवाली आने में दिन ही कितने बचे थे। आखिर सभी १० बजे रात को अपनी गाड़ी से निकल पड़े। अवंतिका बहुत अच्छी चालक थीं । भाई और मां पीछे बैठे थे। रास्ते में फिर बहस शुरू हो गई । और मां की कोई बात ही नहीं सुन रहा था। पीछे से एक ट्रक ड्राइवर नशे में धुत हॉर्न मार रहा था तो अवंतिका का गुस्सा उसी पर उतर गया। खूब सुनाया उसे । जब वो पार हो गया तो इनका झगड़ा फिर शुरू हो गया। थोड़े आगे जाने पर उसने गौर किया कि वही ट्रक ड्राइवर फिर उसकी ओर आने लगा। रास्ता पतला था। ट्रक वाले ने उसे साइड देने से इंकार कर दिया। ब्रिज के ऊपर गाड़ी ब्रिज से नीचे गिरने लगी। सभी बेहोश थे। थोड़े देर में उसके भाई की बेहोशी टूटी। तो उसने अपनी बहन और मां को बाहर निकाला। मां को भी होश आ गया। उसने बहन को जगाने की कोशिश की लेकिन वो जाग नहीं रही थी। तभी उसने एम्बुलेंस को फोन मिलाया। लेकिन एम्बुलेंस मिलने में १घंटे लगते। वो रो रोकर अपनी बहन को उठाने की कोशिश करता रहा पर वो नहीं उठी। मां पूरी कोशिश क रही थी कि वो जाग जाए। लेकिन नहीं। अचानक उन्हें एहसास हुआ कि उसकी सांस टूट गई। शायद यही उसका गंतव्य था जो अपने परिवार को एक अच्छे गंतव्य तक ले जाना चाहती थी।

© pen_things

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