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तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग - 25 )
निवान की यह बात सुनकर गीतिका अपने एक पैर की चप्पल निकालकर "चल पागल कहीं का" बोलते हुए चप्पल निवान के ऊपर फेंक कर मारती है।

लेकिन निवान के वह चप्पल लगती ही नही है और वह वाणी का हाथ पकड़ते हुए उसको घर की और ले जाता है।

चार दिन बाद,,,, सुबह - 7:00 बजे,,, दिन - रविवार,,,

पार्थ अपने बड़े भाई देवांश के साथ पार्क की घास पर नंगे पाव चल रहा था की तभी उसकी नज़र निवान के ऊपर जाती है जो अपनी बहन वाणी के साथ पार्क में खेल रहा होता है।

जिनको देखते ही पार्थ देवांश से " भईया में अभी आया " बोलकर निवान के पास चला जाता है और देवांश अकेले ही घास पर चलने लगता है।

की तभी देवांश को  गीतिका और मानवी दोनों पार्क में आती हुई दिखाई देती है और उनको देखते ही देवांश दूसरी तरफ घूम जाता है और अपने मन में ही बोलता है।

देवांश :-...