तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग - 24 )
अगले दिन,,,दोपहर,,,1:30 बजे
गाँव की पगडंडी पर बने रास्ते पर स्कूल के बच्चों की भीड़ वहाँ से अपने-अपने घर जा रही थी और उसी भीड़ में निवान अपनी बहन वाणी के साथ अपने घर जा ही रहा था।
की उसकी नज़र पगडंडी के किनारे बने मिट्टी के ऊँचे से टीले पर जाती है जहां गीतिका उदास बैठी होती है तभी निवान अपनी बहन वाणी का हाथ पकड़कर उसे गीतिका के पास ले जाता है और वाणी निवान से पूछती है।
वाणी :- भईया,,, आप वहाँ क्यों जा रहे हो,,,,हम तो सीधे रास्ते से घर जाते हैं ना फिर आप यहाँ क्यों जा रहे हो।
निवान :- हाँ,,,,इसी रास्ते से जाते हैं। लेकिन हम अभी घर नही जा रहे है।
वाणी :- सवालों भरी नज़र से विवान को देखते हुए पूछती है,,, पर हम कहां जा रहे है,,,,निवान भईया।
निवान :- अरे,,,,, वाणी तू कितने सवाल पूछती है,चुपचाप चल जहां में ले जा रहा हूँ।
निवान के ऐसे बोलने पर वाणी बिना कोई सवाल जवाब...
गाँव की पगडंडी पर बने रास्ते पर स्कूल के बच्चों की भीड़ वहाँ से अपने-अपने घर जा रही थी और उसी भीड़ में निवान अपनी बहन वाणी के साथ अपने घर जा ही रहा था।
की उसकी नज़र पगडंडी के किनारे बने मिट्टी के ऊँचे से टीले पर जाती है जहां गीतिका उदास बैठी होती है तभी निवान अपनी बहन वाणी का हाथ पकड़कर उसे गीतिका के पास ले जाता है और वाणी निवान से पूछती है।
वाणी :- भईया,,, आप वहाँ क्यों जा रहे हो,,,,हम तो सीधे रास्ते से घर जाते हैं ना फिर आप यहाँ क्यों जा रहे हो।
निवान :- हाँ,,,,इसी रास्ते से जाते हैं। लेकिन हम अभी घर नही जा रहे है।
वाणी :- सवालों भरी नज़र से विवान को देखते हुए पूछती है,,, पर हम कहां जा रहे है,,,,निवान भईया।
निवान :- अरे,,,,, वाणी तू कितने सवाल पूछती है,चुपचाप चल जहां में ले जा रहा हूँ।
निवान के ऐसे बोलने पर वाणी बिना कोई सवाल जवाब...