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बात जो दिल में चुभ गई
हमारे यहां एक रिवाज है कि नव विवाहित कन्याएं सवा साल तक सिर्फ शुद्ध लाख की चूड़ियां ही पहनती है ।
मेरे ब्याह का लगभग सवा साल हो गया था पर फिर भी मैं
उस रिवाज का अनुसरण कर ही रही थी क्यों कि लाख की चूड़ियां सेहत और श्रृंगार दोनों के लिए ही अच्छा होता है। क्योंकि लाख की चूड़ियां शुद्ध होती है।
एक दिन मोहल्ले में चुड़ी हारा चूड़ी ले लो चूड़ी ले लो कांच की सुंदर-सुंदर चूड़ियां ले लो का आवाज़ लगाता हुआ गुज़र रहा था।दादी ने आवाज लगाकर चूड़ीहारे को बुलाया फिर मां और चाची भी वहां पहुंच गई और अपनी अपनी पसंद की चूड़ियां लेने लगी इतने में आवाज सुनकर अगल-बगल की कुछ चिर परिचित लोग भी वहां इकट्ठा हो गए फिर क्या था हंसी मजाक के फव्वारा फूट पड़े। उन में से एक स्त्री जिन्हें हम काकी कहकर बुलाते थे। उन्होंने मुझ से कहा तुम भी पहन लो ये कांच की चूड़ियां बहुत अच्छी है यह देखो कितने सुंदर-सुंदर मेटल है चुड़ियों के आगे पीछे लगा कर पहन लो।मैंने मुंह बनाते हुए कहा काकी मुझे मेटल की चुड़िया अच्छी नहीं लगती हैं।यह बात काकी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और उन्होंने मुझसे कहा मेटल नहीं तो क्या सोने की चूड़ियां पहनोगी ..!काकी की वो बात मेरे दिल में चुभ गई।
मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी और मैंने मन ही मन में कहा पहनूंगी तो मैं सोने की चूड़ियां ही ये मेटल के बैंगल्स तो मैं कभी नहीं पहनुंगी ..!!
और एक दिन ऐसा आया जब मेरे हाथों में सोने के कंगन
देख कर काकी ने कहा अरे वाह ये तो बहुत सुंदर है।
कब लिए तुमने...??
किरण काजल बेंगलुरु