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बड़ी हवेली (नाइट इन लंदन - 1)
तनवीर नौकर की बाते सुनकर सारी कहानी समझ जाता है, वह सबसे पहले अपने सामान और अपने साथियों को देखने के लिए बिस्तर से उठता है। उसे हीरों की चिन्ता तो थी ही साथ ही अरुण की चिन्ता भी थी। अरुण फ़ार्म हाउस के एक कमरे में आराम कर रहा था और वह अनजान लड़की नीचे के कमरे में थी, उस दुर्घटना में सबसे कम चोट उसे ही लगी थी। अरुण को सोता हुआ पा कर तनवीर उसके कमरे में रखे अपने सामान की तलाशी लेता है, हाथियों की मूर्ति सुरक्षित थी तथा उसके अंदर हीरे भी सुरक्षित थे। वह उन्हें उसी तरह रख कर अपने समान को अपने कमरे में ले जाकर रखता है और कमरा लॉक कर देता है, फिर सीढ़ियों से नीचे उतर कर हॉल के सोफ़े पर बैठता है, थोड़ी देर बाद फ़ार्म हाउस में काम करने वाला नौकर वहाँ से गुज़रता है। तनवीर उससे पूछता है "गाड़ी का क्या हुआ", नौकर तनवीर की तरफ़ पलट कर देखता है और जवाब देता है "कल तक मैकेनिक गाड़ी बनवाकर ले आएगा छोटे मालिक"।

तनवीर नौकर के जवाब से संतुष्ट हो गया, उसे राहत मिली ये जानकर कि कल इस फ़ार्म हाउस को छोड़कर निकला जा सकता है। वैसे भी इस फ़ार्म हाउस का तजुर्बा उसे कुछ ख़ास रास नहीं आया था। शाम हो चली थी कुछ घंटों बाद कमांडर के भी जागने का वक़्त होने ही वाला था, तनवीर इस सोच में था कि पता नहीं आज कमांडर कौन सी क्लास लेगा, इतने में वो अनजान लड़की भी अपने कमरे से आराम फरमा के बाहर हॉल की ओर निकली थी। तन्नू को सोफ़े पर बैठा देख वह उसकी तरफ बढ़ी, उसके नज़दीक पहुँचते ही बोली "अब आपकी तबीयत कैसी है, आपके सिर पर काफ़ी चोट लगी थी", लड़की ने तनवीर के चेहरे को पढ़ने की कोशिश की।
तनवीर ने कहा "मैं बिलकुल ठीक हूँ, सिर पर कुछ टाँके लगे हैं नहीं तो और कहीं चोट नहीं आई"।

"चलो शुक्र है, क्या कल यहां से निकलने की तैयारी है, यहाँ के नौकर बता रहे थे कि कल तक गाड़ी ठीक हो जायेगी, अगर मुझे भी छोड़ देंगे तो काफ़ी मेहरबानी होगी, यहाँ दो दिन लग गए आप दोनों को होश में आने को ", लड़की ने तनवीर से अनुरोध करते हुए कहा।

तनवीर ने कहा "चलो ठीक है, कल सुबह गाड़ी आते ही, हम लोग निकल चलेंगे, तुम्हें रास्ते में गाँव ही उतार देंगे, मुझे पता है तुम्हारे घर वाले भी परेशान हो रहे होंगे, बस एक रात की बात है, तुम चिंता मत करो, इसे अपना ही घर समझो, जिस चीज़ की ज़रूरत हो बेझिझक नौकरों से मंगवा सकती हो ", तनवीर उस लड़की को दिलासा देता है।

कुछ देर बाद अरुण भी नीचे हॉल की तरफ़ आता है, उसके हाँथ और पाँव में थोड़ी चोट आई थी बाकि सब कुछ सुरक्षित था। तन्नू ने अरुण को सारा हाल बताया और उसकी तबीयत के बारे में भी पूछा। अरुण को ये जानकर खुशी हुई कि कल इस फ़ार्म हाउस से रवाना हो जाएंगे हालाकि उसे फ़ार्म हाउस पसंद आ गया था पर तनवीर कि एक बेवकूफ़ी ने कमांडर को गुस्सा दिला दिया था।

शाम हो चली थी और जैसे ही जैसे वक़्त बीत रहा था कमांडर का भय उन तीनों के चेहरों पर दस्तक दे रहा था। कमांडर जिसने दो दिन पहले ही तीनों का वो हाल किया था कि इन्हें जीवन भर याद रखना था। तीनों बैठकर उस रात हुए हादसे को ही याद करने की कोशिश कर रहे थे। तभी नौकर ने लाकर चाय रखी, तन्नू ने उससे पूछा "तुमने इस फ़ार्म हाउस पर कुछ अजीब घटना होते हुए देखी है, तुम तो यहां काफी सालों से काम कर रहे हो न, तनवीर ने चाय की चुस्की लेते हुए उसकी तरफ देखा।
नौकर ने उसकी तरफ देखते हुए जवाब दिया " ऐसा तो कुछ नहीं देखा मालिक बस, कुछ सालों पहले जो केयर टेकर रहते थे उन्हें शायद इस घर में कोई बुरी आत्मा दिखी थी शायद, उसके बाद से ही उनके जीवन में अजीब सी परेशानी होने लगी, घर के किसी न किसी सदस्य का नुकसान होने लगा, उसके कुछ महीनों बाद पूरा परिवार ही फ़ार्म हाउस छोड़कर चला गया, किसी को कानो कान ख़बर नहीं लगी उनके जाने की, बस सुबह काम पर आते ही ताला लगा हुआ मिला, सो हर रोज़ केवल माली ही आकर बाग बगीचे की सफ़ाई कर चला जाता था, हमलोगो ने अपने अपने खेतों पर ही काम करना शुरू कर दिया था , आपके आने की खबर मिलते ही हम लोग यहाँ काम करने पहुँच गए "।

" अच्छा ठीक है तुम जाओ अपना काम करो ", तनवीर ने नौकर से कहा और वह रसोई की ओर बाकि नौकरों का साथ देने चला गया।

तीनों फ़िर से आपस में बैठकर बातें करने लगे। देखते ही देखते खाने का समय हो गया, खाना खाते ही अरुण ने तनवीर के साथ रात में जागने का प्लान बना लिया। उसे रात में कमांडर से मुलाकात करने की तीव्र इच्छा थी। रात बीतते ज़्यादा समय नहीं लगा और घड़ी ने बारह बजे का घंटा बजा। तनवीर ने संदूक पहले से ही टेबल पर निकाल कर रख दिया था, अरुण कुर्सी पर जमकर बैठा हुआ था, संदूक के खुलते ही तेज़ लाल रोशनी चमकने लगती है, कमांडर संदूक के बाहर आते ही अरुण और तनवीर को देख मुस्कुराते हुए कहता "गुड ईवनिंग माय चिल्ड्रन, हाउ आर यू टुडे, सब कुछ याद आ गया होगा, क्यूँ इंद्रजीत मेरा मतलब है नवाब तनवीर और क्या हाल है हरप्रीत, कुछ याद आया कि नहीं, दो दिन से लगातार पिछले जन्म का सपना देख रहा था तुम दोनों हा.... हा..... हा", कमांडर के बोल सुनकर तनवीर और अरुण के होश उड़ गए थे। वो दोनों एक दूसरे को अजनबियों की तरह देख रहे थे। अब तक दोनों ने एकदूसरे से इस बात का ज़िक्र नहीं किया था।

कमांडर ने अपनी बात ज़ारी रखते हुए कहा" ये सब वीनस ग्रह का कमाल है, जिन इंसानो का दूसरा जन्म इस पृथ्वी पर होता है उनका याददाश्त इसी ग्रह का वजह से आता है। ब्रह्माण्ड में उसी ग्रह का समय बाकी ग्रहों से कहीं आगे है, हम आत्माओ का भी इस पृथ्वी पर आना और जाना उसी ग्रह का वजह से है, यही नहीं हम सब के मरने की एक वजह थी ख़ज़ाना और अप्राकृतिक मौत, जो समय से पहले ही हो गया था हम ख़ज़ाने का रखवाला बन गया और तुम दोनों का तीन सौ साल बाद जन्म हुआ", कमांडर उन्हें समझाते हुए आगे बताता है, अगर हम दो दिन पहले उस लड़की के अंदर घुसकर तुम दोनों का एक्सिडेंट नहीं करवाता तो तुम्हारा याददाश्त कभी वापस नहीं आता, लेकिन हमको तीन सौ साल पहले ही पता चल गया था कि तुम दोनों से कब मुलाकात होगा", कमांडर ठण्डी साँसे भरते हुए कहता है, "कितना लम्बा इंतज़ार करना पड़ा, अब सोचो तनवीर ने तुमको ही क्यूँ चुना इस फ़ार्म हाउस में आने के लिए, क्यूँकि तुमको अपना पिछला जन्म यहीं याद आना था ", कमांडर ने अरुण की ओर देखते हुए कहा। अरुण कमांडर को आश्चर्य से देख रहा था उसकी चमकती हुई लाल आँखो में कई राज़ दफ़न थे, जिसे वह धीरे धीरे खोल रहा था।

" अगर हम उस गाँव की लड़की के अंदर प्रवेश कर सकता है तो तनवीर के बड़ी हवेली पर तो उर्मिला थी, उसके शरीर पर तो हम पहले से ही काबू कर रखा था, उर्मिला जो भी सुनता, बोलता और देखता था, सब कुछ हम देख और सुन सकता था, अब जब सारा बात तुम दोनों को पता चल ही गया है तो अब तुम दोनों को एक आखरी काम करना पड़ेगा, जिससे हमको मुक्ति मिल जाएगा और हम भी इस पहेरेदारी से मुक्त हो जाएगा, तुम दोनों को हमको लंदन लेकर जाना पड़ेगा जहाँ डॉक्टर ज़ाकिर है, उससे एक आखरी मुलाकात करना बाकी है", कमांडर ने उन्हें आदेश देते हुए कहा।

दोनों कमांडर का चेहरा गंभीरता से देख रहे थे। कमांडर के आँखों की लाल चमक बढ़ती ही जा रही थी। कमांडर ने उन्हें देखते अपनी बात ज़ारी रखते हुए कहा" लंदन में डॉक्टर ज़ाकिर का आखिरी रात होगा, एक रात कमांडर के साथ "।
-Ivan Maximus



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