...

7 views

बच गए !

आज भी याद है मुझे वो दिन जब मैंने पहली बार खुद को मौत के बहुत करीब पाया था।
ये बात तब की है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती थी । वो सितंबर का महीना था । स्कूल की मैडम ने कहा कि एक फार्म जमा करना है , जो आपको तहसील से बनवाकर लाना होगा। मैं और मेरी दोस्त बबीता ने प्लेन बनाया की ये फार्म हम कल जाकर बनवा लेंगे ।
शनिवार का दिन था । हम दोनों बाजार में मिले की तभी अचानक हमारी पुरानी दोस्त हेमा वहां मिल गई। हमने उससे बहुत देर बात की फिर हम निकिता घर चले गए उसका घर बाजार के पास ही था। फिर हम चारों ने‌ सोचा कि वह भी हमारे साथ फॉर्म बनाने चलेंगे। पर हम में से कोई भी वहां जाने का रास्ता नहीं जानता था हमने वहां एक आंटी से रास्ता पूछा तो उन्होंने हमें जाने का रास्ता बताया
उसके बाद हम चारों चल पड़े।
कई दिनों बाद हम ऐसे मिल रहे थे।
हम लोग बहुत खुश थे |
बहुत मुश्किल से हमने रास्ता ढूंढा
उन्होंने कहा कि इस रास्ते हम वहां जल्दी पहुंच जाएंगे तो हम लोग चल पड़े .
रास्ता नदी से होकर जाता था पर हम में से कोई भी नदी में चलना नहीं जानता था पहले दिन बारिश की वजह से नदी में बहुत पानी
था.
पर हमको नदी पार करने का तरीका नहीं पता था एक आंटी हमें मिली उन्होंने कहा कि नदी पार करके जाओगे तो सीधे वहीं पर पहुंच जाओगे हम खुश हो गए कि हम जल्दी पहुंच जाएंगे हम थोड़े दिन नदी किनारे रुके और हमने बहुत सारी फोटो खीची
हम बहुत खुश थे हमें लगा कि बस हम पहुंचने वाले है उसके बाद हम लोग नदी पार करने लगे हम चारों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था और आगे से निकिता चलने लग गई पर तभी कुछ ऐसा हुआ कि हम लोग परेशान हो गए अचानक मेरा फैसला और मैं बीच नदी में गिर गई.
जूते भी पानी में बह गए और मैं उस नदी के तेज बहाव में बहती चली गई तीनों मुझसे बहुत दूर हो गए मैं पूरी तरीके से पानी में बह गई थी मुझे तैरना नहीं आता था और मैं घबरा गई पानी का बहाव मुझे उनसे दूर करता चला गया तभी मैंने एक बड़े से पत्थर को पकड़ लिया उस पत्थर से मैंने पैर फसाया और वहां पर खड़े होने की कोशिश की पर पानी का भाव बहुत तेज था मेरा हाथ छूट रहा था और पैर और भी दस्ता चला जाने लगा
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं बड़ी मुश्किल से मैंने अपना कदम आगे बढ़ाया और उन्हें आवाज लगाने लगी वहां पर कोई और नहीं था जो हमारी आवाज सुनता
हम अकेले थे तभी निकिता ने बहुत हिम्मत से रास्ता पार किया और नदी के दूसरे किनारे पर गई वो लोग भागते हुए मेरी तरफ आए
पर मैं उनसे बहुत दूर थी मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं सबसे दूर हो जाऊंगी मुझे अपनी मौत नजर आने लग गई थी
और मैं उनको कह रही थी ' तुम लोग चले जाओ मेरी मम्मी को बता देना मै मर गई..
पूरा माहौल ऐसा हो गया समझ में नहीं आया क्या करें ?
पर सब ने बहुत हिम्मत करके एक दूसरे का सहारा लेकर मुझ तक पहुंचने की कोशिश की ्और मुझे नदी के पार तक लाएं
पानी मेरे सिर तक चला गया
सिर चकराने लगा और मुझे चक्कर आने लगे मैं वहां पर बेहोश हो गई इन लोगों ने यहां वहां से मुझे होश में लाया तब जाकर मैंने खुद को सुरक्षित पाया..

.

.और बड़ी मुश्किल से हम घर पहुंचे |


सबसे बड़ा एडवेंचरस रहा ये दिन |