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बड़ी हवेली (कश़्मकश - 2)
गाँव के वाइन शॉप के नज़दीक पहुँचते ही अरुण ने गाड़ी होटल पर रोक दी, तनवीर को होटल पर रुकने को कहा और ख़ुद बगल की दुकान से रम का एक खरीदने चला गया । होटल पर पीने वालों की अच्छी खासी संख्या थी, होटल के बाहर तीन गाड़ियां पहले से ही रुकीं थीं। तन्नू ने होटल के वेटर को दो प्लेट चिकेन तंदूरी का ऑर्डर दिया, जब तक वह ऑर्डर लेकर आता अरुण भी रम लेकर पहुंच गया, फिर उसने ग्लास में दो पेग बनाए और एक तनवीर की तरफ़ बढ़ा दिया। दोनों ने अपने अपने पेग पीए। चारों तरफ़ बैठे शराबी अपनी जग जीतने कि कथा सुना रहे थे, उनमें से कुछ जोड़े में टेबल पर बैठे हुए थे तो कुछ ग्रुप में पीने आए थे, जो अकेला आता था तुरंत ही पीकर चला जाता था। कुछ ही देर बाद वेटर उनका खाने का ऑर्डर लाया, दोनों चिकन तंदूरी पर नींबू निचोड़ कर खाने का आनंद लेने लगे, बीच बीच में अपने ग्लास से रम का पेग भी पीते रहते थे।

कुछ देर बाद तनवीर और अरुण पर भी नशे का असर धीरे धीरे होने लगा, दोनों अपने यूनिवर्सिटी के दिनों और दोस्तों को याद करके ठहके मारने लगे जिससे बगल में बैठे सज्जन को दिक्कत होने लगी क्यूँकि वह शायद ग़म मिटाने के लिए पी रहे थे, उसने अरुण से कहा "थोड़ा धीरे हँसो भाई, हर किसी के जीवन में तुम्हारी तरह खुशियाँ नसीब नहीं होतीं, नहीं तो दुनिया तुम्हारी तरह गला फाड़ कर हँसती", तनवीर और अरुण उसकी तरफ देख कर थोड़ा शांत हो जाते हैं फिर आपस में धीरे धीरे बात करने लगते हैं।

समय थोड़ा और बीतता है तनवीर और अरुण पर अब नशा अच्छा खासा चढ़ गया था, इतने में बाहर बिजली कड़की, बिजली की आवाज़ इतनी तेज थी मानो कहीं आसपास ही गिरी हो, हल्की बूंदाबांदी भी शुरू हो गई। इतने में गाँव की एक सुंदर लड़की बारिश से बचने के लिए होटल की आड़ में खड़ी हो गई। होटल पर बैठे तमाम शराबी उसके सौंदर्य को देख मंत्र मुग्ध हो गए। उनमें से कुछ के अंदर सभ्य महा पुरुष बनने का कीड़ा जागा, उनमें से एक ने फैसला किया कि लड़की को कम से कम बैठने के लिए कुर्सी तो दे ही देनी चाहिए, यहाँ होटल में तो कई खाली पड़ी कुर्सियां हैं। वह उठा और एक कुर्सी लड़की के पास लेकर पहुंचा, लड़की कुर्सी पर बैठ गई फ़िर शराबी अपने टेबल पर पीने के लिए चला गया। तनवीर और अरुण ये नज़ारा बड़े आराम से बैठकर देख रहे थे और एक दूसरे की ओर देख कर मुस्कुरा रहे थे।

इतने में दोनों के पीछे टेबल पर बैठे हुए एक शराबी ने लड़की पर अश्लील ताना मारता है और उसके बाकी चार साथी ठाहके मार कर हँसने लगे। उनकी हँसी सुन फ़िर उसी शराबी ने टोका जिसने तनवीर और अरुण को टोका था, उसने कहा "अरे थोड़ा धीरे हँसो भाई, हर किसी के जीवन में तुम्हारी तरह खुशियां नसीब नहीं होती, नहीं तो दुनिया तुम्हारी तरह गला फाड़ कर हँसती", वो सभी उसकी ओर देखने लगे लेकिन कोई नहीं माना। उन्होंने लड़की पर अश्लील ताने मारना जारी रखा। लड़की अब डर से थोड़ा सहम सी गई थी। तनवीर और अरुण को भी अब गुस्सा आने लगा था, उन्होंने भी मना किया लेकिन उन बदमाशों ने उनकी बाते अनसुनी कर दी। अचानक उनमें से एक शराबी उठा और लड़की के नज़दीक लड़खड़ाते हुए पहुंचा। उसने लड़की का हाँथ पकड़ते हुए कहा "ए रानी चलती हो क्या, एक रात में मालामाल कर दूँगा, बस हम पाँचों को खुश कर दे", लड़की मदद माँगते हुए हाँथ छुड़ाने लगी।

इतने में तनवीर पास की टेबल पर रखी बियर की बॉटल उस शराबी के सिर पर मारता है। वह शराबी लहूलुहान हो जाता है, उसके बहते खून को देख उसके साथी मदद के लिए भाग कर आते हैं, पर अरुण और तनवीर उस लड़की को साथ में लेकर गाड़ी स्टार्ट कर भागने लगते हैं। उस शराबी के साथी भी दो गाड़ियां लेकर उनका पीछा करने लगते हैं।

अरुण गाड़ी को तेज रफ्तार से चला रहा था क्यूँकि उन शराबियों ने पीछा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, कभी रफ्तार बढ़ा कर तनवीर और अरुण की गाड़ियों को अगल बगल से टक्कर मारते तो कभी अरुण उनकी गाड़ी को टक्कर मार रहा था। इसी आपाधापी में अरुण ने गाड़ी की रफ्तार बहुत अधिक बढ़ा दी जिससे उनकी गाड़ी ने अच्छी खासी दूरी बना ली, पर फिर भी शराबियों ने पीछा करना नहीं छोड़ा। इतने में अचानक उनकी गाड़ियों से काफ़ी दूरी पर सड़क के किनारे एक पेड़ पर बिजली गिरती है जिससे वह पेड़ सड़क पर गिरकर रास्ता बंद कर देता है लेकिन अरुण की नज़र उस पेड़ पहले गाँव के रास्ते निकलने वाली सड़क पर पड़ती है जो हाइवे को दो हिस्सों में बांट रही थी, अरुण उन शराबियों से बचने के लिए गाड़ी को उसी सड़क पर ले जाता है। उन शराबियों की गाड़ियां अब भी उनका पीछा कर रही थीं। इतने में वो लड़की अरुण और तनवीर से कहती है आगे आने वाले मोड़ पर दाएँ ओर गाड़ी घुमा लें वो रास्ता आगे जाकर हाइवे से मिलता है वहीं नज़दीक ही एक गाँव है जहाँ मेरी मौसी रहती हैं, मैं रात वहीं गुज़ार लूँगी, आप लोग सफ़र जारी रख सकते हैं अगर चाहें तो ", लड़की ने उनकी ओर देखते हुए कहा।

तनवीर और अरुण ने पीछा कर रही दोनों गाड़ियों को चकमा देने के लिए यही उचित समझा, गाड़ी लड़की के कहे अनुसार दायीं ओर निकलने वाली सड़क पर घुमा दी। उन शराबियों की गाड़ियां चकमा खा गयीं और मोड़ के बायीं ओर घूम कर चलीं गईं। वो तीनो अब कुछ शांत हो गए, उनके सिर से एक बला टल गई थी।

तनवीर ने अपनी घड़ी में देखा तो रात के 11:30 बजे थे, उसने अरुण से कहा "अरे यार हमलोग कितनी देर से भाग रहे थे इसका पता ही नहीं चला, आधे घंटे के बाद आधी रात हो जाएगी, हमलोगो ने काफ़ी समय होटल में पीने के चक्कर में बर्बाद कर दिया"।

"मेरा तो सारा नशा बेकार कर दिया उन शराबियों ने पीछा करके, बस जितने देर उस होटल में बैठे थे उतनी देर ही एंजॉय किया, बाद में तो भागादौड़ी में सारा नशा उतार कर रख दिया शराबियों की टोली ने, शुक्र मनाओ मैंने एक और हाफ़ बॉटल रम अलग से ख़रीद कर पहले ही बैग में रख लिया था, जब कहोगे तब एक बार और मूड बना लिया जाएगा ", तनवीर से अरुण ने गाड़ी चलाते हुए कहा।

तनवीर ने अरुण की तरफ़ आश्चर्य से देखा और कहा" तुम भी न यार अरुण समझ के बाहर हो, यहाँ अभी थोड़ी देर पहले हम तीनों की जान जाने वाली थी और तुम्हें अब भी दारू चखने की पड़ी है "।

" याद ना हो तो याद दिला दें होटल में हीरो गिरी शायद आप ही ने दिखाई थी, वर्ना आज ये नौबत ना आती, ना उन शराबियों से पीछा छुड़ाने के लिए हमें भागना पड़ता और ना हम अपने हाई वे के रास्ते को छोड़ इस गाँव से होकर निकलने वाले रास्ते को पकड़ते जहाँ सड़क के दोनों ओर सुनसान जंगल ही हैं ", तनवीर से अरुण ने व्यंग्य के के भाव में कहा।

" मैं क्या करूं यार, वो शराबी इस लड़की को छेड़ रहा था, मुझसे रहा नहीं गया, सोचो अगर इसकी जगह कोई तुम्हारी जानने वाली होती तो तुम क्या उसे मुसीबत में छोड़ देते ", तनवीर ने अरुण से ख़ुद की सफाई पेश करते हुए पूछा।

अरुण ने मुस्कुराते हुए कहा "अपनी सफ़ाई देना तो कोई तुमसे सीखे"।

" हैलो तनवीर, तुम हमको छोड़कर कैसे भाग आया, आज तो तुमने वही लुटेरे वाला रूप दिखा दिया, तुमको क्या लगा तुम हमसे बच गया, हम तुमको बताया था कि हम अगर चाहता तो तुम्हारा फ़ादर और डॉक्टर को पहले ही मर सकता था, तुमको क्या लगा कि हम बस उस संदूक तक ही सीमित है", तनवीर और अरुण उस भयानक आवाज़ को सुनकर घबरा जाते हैं, अरुण के पाँव अपने आप ब्रेक पर दबाव बना देते हैं और दोनों एक साथ पीछे मुड़कर बैक सीट पर देखते हैं, ये उस लड़की ने कहा था जिसके अन्दर से कमांडर बोल रहा था, उस लड़की का हावभाव, रंगत, आवाज़ सब कुछ बदल सा गया था, बाल बिखरे हुए थे जो सामने से चहरे को ढक रहे थे, आँखो की पुतलियां लाल हो चुकी थीं जो रात में गाड़ी के अंदर चमक रही थीं।
-Ivan Maximus







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