तेरी-मेरी यारियाँ ! ( भाग - 3 )
गीतिका :- अच्छा अब मुझे घर जाना होगा । घर पर सब मेरा इंतजार कर रहे होंगे । अगर मे समय पर घर नही पहुंची तो माँ बहुत डाटेंगी ।
निवान :- पार्थ की घड़ी मे समय देखकर बोलता है लेकिन अभी तो शाम के चार बजे है ।
पार्थ :- हाँ । गीतिका हम भी तो कब से घर नही गए पर हमे तो कोई नही डाँटता ।
गीतिका :- अरे बुद्धू! क्योंकि तुम लड़के हो और मुझे ज्यादा देर तक घर से बाहर रहने की इजाजत नही है ।
निवान :- तुझे घर से ज्यादा देर तक बाहर रहने की इजाजत क्यों नही है गीतिका ?
गीतिका :- क्योंकि मे एक लड़की हूँ, शायद इसलिए वो इतना बोलकर वहां से चली जाती है ।
पार्थ और निवान भी थोड़ी देर वहां खेलते है फिर अपने-अपने घर चले जाते है ।
वही गीतिका की माँ जिनका नाम कुसुम है कहने को तो इनके नाम का अर्थ फूल है l लेकिन जब भी ये कुछ बोलती है इनकी आवाज कांटे की तरह कानों मे चुभती है । जो घर के आंगन मे बैठकर गीतिका का इंतजार कर रही है ।
कुसुम :- जोर से चिल्लाते हुए मानवी,,,,,,,,,, । मानवी कहाँ है तू जरा इधर तो आ ।
मानवी बिना देर किए भागी-भागी आती है और उससे भी बड़ी बात की वह अपनी माँ से ज्यादा गीतिका की माँ से डरती थी ।
मानवी :- जी चाची आप मुझे बुला रही थी ।
कुसुम :- गुस्से से बोलती है "बुला नही रही थी चिल्ला रही थी" और तूने तो मुझसे कहा था की गीतिका को मैंने किसी काम से भेजा है बस अभी थोड़ी देर मे आ रही है ।
फिर अब तक आई क्यों नही वो उसको शक भरी निगाहों से देखती है ।
मानवी कहने को तो गीतिका की चचेरी बहन थी पर वह गीतिका को एक सगी बहन की तरह प्यार करती थी और यही कारण था की उसने गीतिका की माँ से झूठ कहा था ।
कुसुम :- अब तू सच-सच बता रही है की गीतिका कहाँ है की तेरी माँ को बुलाओ ।
मानवी :- डरी हुई आवाज मे बोलती है पर चाची मैंने आपको बताया तो है की मैंने ही उसको जरूरी काम से भेजा है ।
कुसुम :- अच्छा चल फिर ये बता की किस जरूरी काम से भेजा है । जरा हमको भी तो पता चले ऐसा कौन सा जरूरी काम है । जिसको पूरा करने मे उसको इतना समय लग गया ।
मानवी को अब कुछ समझ नही आ रहा था की वह अब क्या बोले क्योंकि उसके एक और झूठ बोलने पर वो पकड़ी जाती क्योंकि गीतिका के आते ही सब कुछ पता चल जाता इसलिए वह चुपचाप खड़ी रहती है ।
उसके झूठ बोलने का कारण था गीतिका का लड़को से बात करना क्योंकि जिस तरह उनके घर मे लड़कियों को पढ़ाने पर पाबंदी थी उसी तरह उनको लड़को से बात करने पर भी पाबंदी थी ।
गीतिका को अभी तक बस इतना ही बोला गया था की वह ज्यादा समय तक घर से बाहर नही रहेगी लेकिन वह इस बात से बिल्कुल अंजान थी ।
की उसके घर मे लड़को से बात करने पर भी पाबंदी है और यही कारण था की उसने बिना सोचे समझे उन दोनो से दोस्ती कर ली थी ।
कुसुम :- लगता है तू ऐसे नही बताएगी रुक अभी और वह जोर-जोर से चिल्लाती है ।
सावित्री दीदी,,,,,,,, सावित्री दीदी कहाँ है आप ?
सावित्री कोई और नही बल्कि मानवी की माँ है । पूरे घर में बस एक वही है जो गीतिका और मानवी का साथ देती है तभी मानवी बोलती है।
To Be Continue Part - 4
निवान :- पार्थ की घड़ी मे समय देखकर बोलता है लेकिन अभी तो शाम के चार बजे है ।
पार्थ :- हाँ । गीतिका हम भी तो कब से घर नही गए पर हमे तो कोई नही डाँटता ।
गीतिका :- अरे बुद्धू! क्योंकि तुम लड़के हो और मुझे ज्यादा देर तक घर से बाहर रहने की इजाजत नही है ।
निवान :- तुझे घर से ज्यादा देर तक बाहर रहने की इजाजत क्यों नही है गीतिका ?
गीतिका :- क्योंकि मे एक लड़की हूँ, शायद इसलिए वो इतना बोलकर वहां से चली जाती है ।
पार्थ और निवान भी थोड़ी देर वहां खेलते है फिर अपने-अपने घर चले जाते है ।
वही गीतिका की माँ जिनका नाम कुसुम है कहने को तो इनके नाम का अर्थ फूल है l लेकिन जब भी ये कुछ बोलती है इनकी आवाज कांटे की तरह कानों मे चुभती है । जो घर के आंगन मे बैठकर गीतिका का इंतजार कर रही है ।
कुसुम :- जोर से चिल्लाते हुए मानवी,,,,,,,,,, । मानवी कहाँ है तू जरा इधर तो आ ।
मानवी बिना देर किए भागी-भागी आती है और उससे भी बड़ी बात की वह अपनी माँ से ज्यादा गीतिका की माँ से डरती थी ।
मानवी :- जी चाची आप मुझे बुला रही थी ।
कुसुम :- गुस्से से बोलती है "बुला नही रही थी चिल्ला रही थी" और तूने तो मुझसे कहा था की गीतिका को मैंने किसी काम से भेजा है बस अभी थोड़ी देर मे आ रही है ।
फिर अब तक आई क्यों नही वो उसको शक भरी निगाहों से देखती है ।
मानवी कहने को तो गीतिका की चचेरी बहन थी पर वह गीतिका को एक सगी बहन की तरह प्यार करती थी और यही कारण था की उसने गीतिका की माँ से झूठ कहा था ।
कुसुम :- अब तू सच-सच बता रही है की गीतिका कहाँ है की तेरी माँ को बुलाओ ।
मानवी :- डरी हुई आवाज मे बोलती है पर चाची मैंने आपको बताया तो है की मैंने ही उसको जरूरी काम से भेजा है ।
कुसुम :- अच्छा चल फिर ये बता की किस जरूरी काम से भेजा है । जरा हमको भी तो पता चले ऐसा कौन सा जरूरी काम है । जिसको पूरा करने मे उसको इतना समय लग गया ।
मानवी को अब कुछ समझ नही आ रहा था की वह अब क्या बोले क्योंकि उसके एक और झूठ बोलने पर वो पकड़ी जाती क्योंकि गीतिका के आते ही सब कुछ पता चल जाता इसलिए वह चुपचाप खड़ी रहती है ।
उसके झूठ बोलने का कारण था गीतिका का लड़को से बात करना क्योंकि जिस तरह उनके घर मे लड़कियों को पढ़ाने पर पाबंदी थी उसी तरह उनको लड़को से बात करने पर भी पाबंदी थी ।
गीतिका को अभी तक बस इतना ही बोला गया था की वह ज्यादा समय तक घर से बाहर नही रहेगी लेकिन वह इस बात से बिल्कुल अंजान थी ।
की उसके घर मे लड़को से बात करने पर भी पाबंदी है और यही कारण था की उसने बिना सोचे समझे उन दोनो से दोस्ती कर ली थी ।
कुसुम :- लगता है तू ऐसे नही बताएगी रुक अभी और वह जोर-जोर से चिल्लाती है ।
सावित्री दीदी,,,,,,,, सावित्री दीदी कहाँ है आप ?
सावित्री कोई और नही बल्कि मानवी की माँ है । पूरे घर में बस एक वही है जो गीतिका और मानवी का साथ देती है तभी मानवी बोलती है।
To Be Continue Part - 4
Related Stories