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कुछ विरोधात्मक बातें जिंदगी की और मानसिक विकार
जिंदगी में कई बातें विरोधात्मक होती हैं ,जैसे जो चीज हमें बचपन में सही लगती है ,वह बड़े में अजीब लगने लगती हैं, और शायद इसी को जिंदगी  कहते हैं ।

जैसे बचपन से लेकर बड़े तक हम लड़कियों को बहुत सारी बातें और तौर तरीके बताएं जाते है। मुझे ये लगता है की बच्चों की परवरिश में अच्छा बुरा सब बातें बतानी चाहिए , और कभी-कभी जिंदगी की बहुत ही कड़वी  सच्चाई भी बताना बहुत ज़रूरी होता है।
हम सब लोग पता नहीं कैसी परवरिश देना चाहते हैं अपने बच्चों को ये कई बार हम को खुद नहीं पता रहता।

जब तक किसी व्यक्ति के पास रुपए नहीं रहते वह कहता है की ज्यादा रुपए हानिकारक होता है ,उतना ही होना चाहिए जितनी जरूरत,  अगर बेटा नहीं है तो बोलते हैं, हमारी बेटियां ही बेटा, और अगर आधुनिकता की कमी है तो बोलते हैं हमको इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। परंतु अगर रुपए हो जाए, बेटा हो जाए ,और आधुनिकता में भी बढ़ जाए तो वही जो हम पहले एक उपदेशात्मक भाव की तरह बोले थे, वह ठीक उसका विरोध हो जाता है ।जिसके पास नहीं है  ये सब तो  ये दो तरह के बोलने वाले उनको महसूस करवाने लगते हैं, की आप की जिंदगी में कमी है।

अब यह जो मानसिकता है यह समझ के परे है। इन सब विचारों से इन भावों से यही पता चलता है कि हम बढ़ तो रहे हैं आगे परंतु यह जो हमारा मानसिक विकास है ये पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ हम में चला आ रहा है । जो बुद्धि की जड़ता हैं थोड़ी बहुत बदली हैं परंतु जो सचा हैं वहीं है, इन्हीं सब बातों से अब इस उम्र में मुझे कुछ अपने   बचपन की बातें याद आती है ,मैं भी कुछ महिलाओं को जो मुझसे बड़ी थी।

  मैं उनको कभी बहुत अलग तरीके का ज्ञान देती थी ,पर जब मैं खुद समझने लायक हुई तो समझा बचपन में जो सच्ची या क्रांतिकारी सोच होती हैं वो उम्र के साथ बदल जाती हैं। मैंने देखा जो बहुत क्रांतिकारी भाव रखता है उसका बहुत तिरस्कार होता है ,यह जो क्रांतिकारी लड़कियां बाद में महिला बनती हैं इनको कई बार बहुत कुछ संघर्ष करना पड़ता है ।

अक्सर ये देखा गया है कुछ लोगों की आदत होती हैं की सामने वाला सही हैं ये जानते हुए भी हम सही का साथ नहीं देते है , ये एक मानसिक विकार है। जो उसे सही बात को गलत बताने में ही खुशी प्रदान कर रहा है तो वह सही बात के लिए कभी आवाज नहीं खड़ा करता है।

और जहां तक मैंने देखा है यह जो विकार है की उधर पर इधर कुछ बदलते रूप में हमको मिलने जा रहा है कई लोग को तो किसी का समय ही बर्बाद करने में खुशी मिलती तो कई लोग ऐसे हैं उनको यही खुशी मिलती हम किसी को हैरान कर दिया और यह जो इस तरह का मानसिक समस्या  है।

मुझे लगता है कि ऐसी समस्या बहुत जगह होगी। ऐसी समस्याओं पर अभी भी कार्य होना बाकी है क्योंकि शारीरिक समस्या का तब भी समाधान है परंतु जो यह हमारा मानसिक विकार है ये बहुत ही बड़ी समस्या है।

कुछ लोग आपके आसपास ऐसे होगे हैं जिनको सिर्फ दूसरों को हैरान करने में ही अच्छा लगता है , आप का रोना भी उनको अच्छा महसूस होता है ।

परंतु ऐसे लोग जो दूसरों को हैरान करते हैं वो पागल की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि ये लोग कोई ऐसा अनुचित कार्य करते ही नहीं जो सबकी नजरों में आए । इनकी ख़ास बात ये हैरान भी अपने साथ रहने वाले को करते है। इस तरह की जो समस्या है इस पर बातें होनी चाहिए और खुलकर होनी चाहिए और बहुत लोग ऐसे लोगों के साथ जूझ रहे हैं , परंतु ऐसी समस्याओं  पर हम चर्चा ही नहीं करना चाहते हैं ।

मेरे हिसाब से जो मानसिक विकार है वो किसी के विकास में बाधा बन सकती है। किसी को मानसिक अवसाद में डाल सकती है ,इस तरह की समस्या पर चर्चा होनी चाहिए इसमें शर्म की बात नहीं है, क्योंकि अधिकतर लोग इसी समस्या से ग्रसित है।

इसलिए हर किसी से गुजारिश हैं,आगे आए अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ दूसरे का मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें और इस पर खुलकर बातें करें।

—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —

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