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बड़ी हवेली (डायरी - 13)
कमांडर अपनी कहानी जारी रखता है "शालीमार और कोहिनूर दो ऐसा बेशकीमती नगीना था भारत के पास जिनका रंग, आकार, वज़न का जानकारी दुनिया का हर शाही परिवार के पास मिल जाता, ऐसा ही जानकारी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया को भी था, इंगलिस्तान में इन दोनों बेशकीमती रत्न का काफ़ी चर्चा रहता था, इसलिए इन दोनों रत्नों का डुप्लीकेट खोजना उतना मुश्किल काम नहीं था।

अक्सर हर साल भारत में कई शाही परिवारों में ऐसा ही दौलत का नुमाइश किया जाता था जहाँ इन कीमती रत्नों को देखने का वास्ते दूर दूर से रत्न विशेषज्ञों का दल और शाही परिवार के मेहमान पहुंचता था।

उस दिन भी बादशाह का सालगिरह का महफिल में काफ़ी भीड़ था रत्न विशेषज्ञों का। हमने एक नकली हीरा जो हुबहू कोहिनूर की तरह दिखता था एमेलिया को दे दिया था बस उसे बदलना था। कुछ सैनिकों का टुकड़ी को उसका सहायता का वास्ते बादशाह का महफिल में लगवा दिया था ताकि उसे कोहिनूर लेकर जाते समय कोई रोक टोक ना सके।

महफिल का काफ़ी अच्छा इंतज़ाम किया गया था, हर ओर टर्की, ईरान और कई अरब देशों से आया रक्कासाओं का दिल लुभाने वाला नृत्य हो रहा था, सब एक से एक खूबसूरत था, मुगल सल्तनत खूबसूरती पर फ़िदा रहता था और शाही परिवारों के ख़ज़ाने का एक मोटा हिस्सा हरम खाने में खर्च होता था।

कुछ ही देर में बादशाह अपना शानदार महफिल में आया, सब लोग उसका रेस्पेक्ट में खड़ा हो गया, इस बार का जलसा कुछ ख़ास इसलिए था क्यूँकि यह सफ़ेद ताजमहल बनने और काले ताजमहल का नींव में काले संगमरमर से रखने का खुशी में भी था। इस बात का एलान होते ही हमने औरंगजेब का चेहरा देखा, उसके चेहरे पर क्रोध तो था ही साथ में एक खतरनाक मुस्कान भी, ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई खतरनाक साज़िश रचा हो जिसके बारे में शायद मुझे भी मालूम ना था।

शाही फरमान सुनाए जाने के बाद महफिल का शुरुआत होता है। सबसे पहले अपने समय का मशहूर गायिका हीरा बाई ने महफिल का शुरुआत अपना मधुर आवाज़ में किया। हम कभी हीरा बाई को तो कभी औरंगजेब को देख रहा था। हीरा बाई जैसे महफिल में औरंगजेब के लिए अकेले गा रहा हो, उसका ध्यान और किसी पर नहीं जा रहा था, ऐसा ही कुछ हाल औरंगजेब का भी था। हमारे अलावा उस समय औरंगजेब का ख़ास आदमी ही जानता था कि हीरा बाई से औरंगजेब का मोहब्बत चलता था केवल बादशाह को इसका पता नहीं था। अगर पता चलता तो पहले की तरह शाही खानदान में एक बार फिर प्यार का वास्ते बगावत हो जाता।

हीरा बाई का कोयल जैसा गाने का बाद कई और कलाकारों ने अपना जलवा बिखेरा और महफिल में चार चाँद लगा दिया। ऐसा शानदार महफिल हम पहले कभी नहीं देखा था। कुछ देर बाद एमेलिया का बारी आया, बादशाह और उनका दरबार का सारा आदमी एमेलिया के हुस्न और मोहक नृत्य को देख कर जैसा खो सा गया, महफिल के हर कोने में खड़े और बैठे लोगों को उसने अपना खूबसूरत जिस्म का प्रदर्शन कर अपना ओर आकर्षित कर लिया। मोहक नृत्य देखकर बादशाह ने ख़ुद खड़े होकर उसका तारीफ़ किया, बादशाह के खड़े होते ही महफिल का सारा मेहमान खड़ा होकर उसका अभिनंदन करने लगा, ख़ुश होकर बादशाह ने उसे कुछ अशर्फ़ी और कुछ हीरा उपहार स्वरूप दिया। ऐसे ही महफ़िल आगे बढ़ा।

कुछ देर बाद बादशाह का वजन करने का बारी आया, सभी कीमती उपहार जैसे हीरे, पन्ना, नीलम, मोती कीमती रत्नों से वजन करने के बाद उन्हें राज कोष के लिए रख दिया गया उसका बाद चाँदी के सिक्कों से तौला गया और बादशाह का वजन के बराबर सिक्कों को प्रजा में बांट दिया गया, अब सोना का अशर्फी का बारी था जिससे कई बार बादशाह का वजन कर राजकोष में रखने का वास्ते अलग किया गया, उसका बाद रेश्मी वस्त्रों से दो बार तौला गया जिसका एक हिस्सा प्रजा में बांटा गया, रेश्मी वस्त्रों के बाद आभूषणों का बारी आया जिसमें बादशाह का वजन के बराबर हीरा मोती, सोना चांदी तथा अन्य नगीनों के हार, अंगूठी, कड़ा, चूड़ी, बालीयां इत्यादि शामिल था करीब दो बार बादशाह को इन आभूषणों से तौला गया। इसके बाद पृथ्वी का हर कीमती चीज़ से बादशाह को तौला गया।

इसके कुछ ही देर बाद महफिल में कुछ हलचल सा हुआ, औरंगजेब का विशेष सैनिक दल कुछ परेशान सा था, बार बार मंच पर आकर उसका एक सैनिक कान में कुछ बोलता था फिर औरंगजेब उसको कुछ बोलकर भेजता था, जब बात हाँथ से निकल गया होगा तो औरंगजेब ख़ुद उसका साथ गया।

पहले तो हम थोड़ा डर गया कि कहीं एमेलिया तो नहीं पकड़ा गया, पर उसे महफिल और महल से गए काफ़ी समय हो गया था, उसे तो रात मेरे बंगले पर हमबिस्तर होकर बिताना था। फिर हमने मन में सोचा चाहे कुछ भी हो जाकर देखना पड़ेगा, तो हम भी औरंगजेब के पीछे चल पड़ा। वह अपने राजकोष की तरफ़ जा रहा था, कुछ दूर आगे बढ़ते ही राजकोष के द्वार के सामने करीब दो दर्जन सैनिक मरा हुआ पड़ा था। अन्दर से ख़ज़ाना देखकर आए एक सैनिक ने कहा "हुज़ूर ख़ज़ाने का कुछ हिस्सा लूट लिया गया है और किले से बाहर ले जाया जा चुका है"।

औरंगजेब ने मेरा तरफ़ देखते हुए कहा "कमांडर फौरन अपना सिपाहियों को बोलकर नाकाबंदी कराएं, लुटेरा अभी ज़्यादा दूर नहीं गया होगा, हम उसे पकड़ सकते हैं"।

हम भागते हुए गया और किले में मौजूद ब्रिटिश सिपाहियों को लेकर ख़ुद नगर के दौरे पर निकल गया। उस लूटेरे को पकड़ने के लिए चारों ओर फैल गए। नगर और जंगल के रास्तों पर सैनिक टुकड़ी लगा दिया गया।

अच्छा खासा रात खराब हो चुका था और सारे किए कराए पर इस लूटेरे ने पानी फेर दिया था, क्या सोचा था और क्या हो गया, सोचा था आज रात एमेलिया का नाज़ुक बाहों में बीतेगा, पर इस लूटेरे ने तो नाइट ड्यूटी लगवा दिया था।

साथ में हम यह भी सोच रहा था क्या एमेलिया ने कोहिनूर चूरा लिया होगा, अगर हां तो उसे होशियार रहने का ज़रूरत था। "
-Ivan Maximus


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