...

8 views

"गाँव की लड़की"
सुमित के मित्र राजेश की शादी थी,मगर लड़की गाँव की थी तो सुमित और उसके सभी मित्र विवाह के एक दिन पूर्व ही गाँव पहुँच गए,सभी बहुत प्रसन्न थें कि देखें गाँव की शादी कैसी होती है।
जब सभी वर पक्ष के साथ गाँव पहुँचे तो लड़की वालों ने उनका बहुत स्वागत किया और जातें ही उन्हें चाय नाश्ता परोसा,वहाँ आवभगत करने वालों में एक प्यारी सी लड़की भी थीं पता चला वो राजेश की साली की सहेली थीं,सभी उसे मिताली नाम से बुलाते थे,न जाने क्यों वो सुमित को बहुत अच्छी लगी।
नाश्ता करके सभी गाँव में घूमने निकल पड़े गाँव का खुला वातावरण सभी को बहुत अच्छा लगा था।
दोपहर तक सभी वापस आ गए,फिर उन्हें दोपहर का भोजन परोसा गया जिसमें गाँव की सौधी महक और अपनापन सब को बहुत अच्छा लगा,तभी मिताली खीर लेकर आई और सबको परोसने लगी, सुमित बस एक टक उसे ही देखता रहा वो एक गेहूँए रंग और तीखे नाक नक्शे की लड़की थी और आकर्षक देयष्टि की स्वामिनी थी तभी मिताली ने उसकी तंद्रा भंग की और बोलीं थोड़ा और खीर लीजिएगा सुमित ने बस हां में सिर हिला दिया।
रात को भी उन सबके आवभगत में कोई कमी नहीं रखीं गई,सभी खाकर तृप्त हुए तो सभी के सोने के लिए चले गए, लेकिन सुमित की आंखों से नींद गायब थीं उसे बस किसी भी हाल में मिताली को हासिल करना था ।
सभी के सो जाने के बाद सुमित दबे पाँव मिताली के कमरे की ओर चल दिया,वो बेखबर राजेश की साली नीलू के साथ सो रही थी।
सुमित ने देखा दरवाजा बंद नहीं था बस उड़काया हुआ था उसनें पहले जाकर मिताली का मुंह दबाया और उसे गोंद में उठाकर घर के पीछे झाड़ियों में ले गया,मिताली ने बहुत मिन्नते की हाथ जोड़े मगर सुमित का दिल नही पसीजा और उसनें वही किया जो उसे करना था,और अपनी मनमानी करके वो धूर्त हंसी हंसते हुए वापस चला आया क्योंकि उसे मालूम था कि मिताली गाँव की लड़की है और अपनी इज्जत के डर से वो किसी से भी कुछ नहीं कहेगी ।
दूसरे दिन उसकी नींद खुली तो घर में हा हा कार मचा हुआ था कि मिताली ने आत्महत्या कर ली थी, किसी को भी कुछ पता नहीं था, सर्दी की रात थी सब गहरी नींद सोए हुए जो थे ।
खैर दूसरे दिन विवाह भी सम्पन्न हो गया और सुमित अपने सभी दोस्तों के साथ वापस लौट आया,रास्ते भर उसके मित्र इसी ओहा पोह में रहे कि आखिर मिताली के साथ क्या हुआ होगा ?
सुमित ने भी अन्जान बनने का नाटक किया और सब अपने अपने तरह से इस घटना का ध्यान करने लगे।
देखते देखते इस घटना को कई वर्ष बीत गयें और आज सुमित का विवाह था,उसके सभी मित्र उसके विवाह में सरीख हुए थे,और घर में बहुत चहल पहल थी,नियत समय पर वर पक्ष विवाह के लिए वधू के घर पहुँच गए,जब स्वागत के लिए वधूपक्ष आगे आए तो सुमित की नज़र मानों एक जगह पर ठहर गईं दूर उसे मिताली खड़ीं नज़र आई वो उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहीं थी,सुमित पसीने पसीने हो गया उसने अपने दोस्तों से कहने की बहुत कोशिश की कि सामने मिताली खड़ीं है,मगर विवाह के शोर गुल मे मानों उसकी आवाज दब कर रह गई।
खैर विवाह हो गया तो विदाई के समय भी उसे हर जगह मिताली दिखाई देती रही मगर वो मौन साधे रहा ।
घर आकर भी उसका दिमाग उचाट सा रहा और सरिता की तो उसे कोई सुधि ही न रहीं थी।
घर के लोग भी उसकी मन: स्थिति से अन्जान थे,बहुत ज्यादा सोचने और खुद को संयत रखने के कारण सुमित बीमार पड़ गया और देखते ही देखते उसका ज्वर १०५तक पहुँच गया,घर में सब लोग परेशान हो उठे कोई भी कुछ समझ नहीं पा रहा था सुमित सबसे कुछ कहना चाह रहा था मगर कहता भी क्या अब उसकी जुबान तक चली गई थी और रात भर में सुमित का ज्वर इतना ज्यादा बढ़ गया कि उसकी मृत्यु हो गई,जिस तरह मिताली अपना दर्द किसी को न बता कर मौत की गोद में सो गई उसी तरह सुमित को भी घुट घुट कर मौत की गोद में सोना पढ़ा ।
क्या सुमित को मिताली सचमुच दिखाई दी थी या ये उसका गुनाह वाला अधर्म था जो उसे पल पल मिताली के रूप में दिखाई देता रहा और शादी के दिन इसमें इजाफा हो गया क्योंकि ये दिन उसे राजेश के विवाह की पुनर्स्थापना सा प्रतीत हो रहा था,कुछ भी हो इन्सान को एक न एक दिन अपने किएँ की सज़ा जरूर मिलती है और सुमित को भी मिल गई थी।

© Deepa