SPANKAJ
1 Followers
5 Following
Joined on 28 June 2020
सफ़र पर निकला है मुसाफ़िर मुट्ठियां खोलकर, हो गया वो सबका जो मिला मीठे लब्ज बोलकर। सफ़र नही है आसान उलझने बहुत है, हर कदम पर मुसीबतों के दौर बहुत है। मुसाफ़िर निकल पड़ा है अनजानी राह पर, वो मंजिल भी नही बदल सकता सब कुछ चाहकर।।।।
Show More
Poems
मेरा गाँव🏚 15 views
Quotes
Followers
Following
230 Posts . 3 K Followers
25 Posts . 23 Followers
72 Posts . 222 K Followers
55 Posts . 995 Followers
138 Posts . 184 Followers