...

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मेरा गाँव🏚
मेरे गाँव में अब सावन की हरियाली नहीं रही,
यहाँ की सारी रौनक शहर का रूख कर रही,
यहाँ कागज की वो कश्तियाँ सारी डूब रही,
यहाँ की मिट्टी से वो सौंधी खुशबू छूट रही,
यहाँ अब त्यौहारों की शोरगुल भी नहीं रही,
मेरे गाँव की सारी गलियां...