...

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चंद शब्दो की व्याख्या
तू उजाला सुबह की रोशनी -सा
मैं अंधेरा कल की रात सा
तेरा - मेरा मिलन भी था नामुमकिन सा
मुझे जरूरत थी तेरी हल्की सी रोशनी की
तू तो ख़ुद मे ही एक उजाला था
तेरी जरूरत ने भी चांद ने पूरा किया
अमावस्या सी वो रात भी पूनम मे परिवर्तित हुई।
चांद ने भी रुख़ मोड़ा कुछ घंटों का ही मेहमान बना ....
फिर वो तेरी कमी भी एक कमी ही रही...
तेरी जरूरत भी एक जरूरत ही रही ...
आस थी तू मिले हर वक़्त, तू रहे साथ हर वक़्त ..
और फिर वो आस भी एक आस ही रही
इसी तरह तेरी- मेरी ज़िन्दगी भी कुछ पलों की कहानी ही रही...
✍️ by:- MEI

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