...

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तू तन्हा हो गया..
इन वादियों से कोई कहे के
पता मेरा खो गया..

बीती बातों का वो गुज़रा हुआ सफ़र
चंद लम्हों में धुंधला हो गया..

और खै़र से लोट रहा हूँ मैं घर अपने
सफ़र मेरा जो अधूरा था अब पूरा हो गया..

और तस्सलियां, मिन्नतें, गुज़ारिशों की
नोबत न आ सकती..

जो कहता था मेरा है उसका फ़ैसला
एक तरफ़ा हो गया..

वो जिस्से साझा किये मैंने ज़ज़्बात अपने
वो न जाने किस का हम सफ़र हो गया..

फ़िर मैं लोट चला वहां से ख़ाली हाथ
मेरे हिस्से में जिसका होना था मैं उसका हो गया..

अब मेरे साथ बड़ी शान से रहती है
उसकी याद और मुझसे कहती है..

मैं खुश हूँ तेरे साथ
पर तू तन्हा हो गया..

© K_khan_lines ..KK.. ✍