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#जाने ...दो...!
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
उम्मीद नहीं अब उससे
अच्छा हुआ वह चला गया ।
रंग उसने ऐसा दिखाया
जैसा किसी ने दिखाया नही
अपनो को ऐसे ठगा
कि दुबारा वह उठ पाया नही।
मन में था उसके के कोई
उसे रोक पायेगा नही
अपनी मर्जी से सब को
बंदी बनाने से बाज़ आएगा नही
उसकी गलतफहमी थी ये
इसलिए वह अपनी नजरों से
बच पाया नही शीशे के सामने
बैठा वो नजरों को झुकाए
काश किसी को पता ना
चलता मैं कैसा हूं।।
© mmmmalwinder
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
उम्मीद नहीं अब उससे
अच्छा हुआ वह चला गया ।
रंग उसने ऐसा दिखाया
जैसा किसी ने दिखाया नही
अपनो को ऐसे ठगा
कि दुबारा वह उठ पाया नही।
मन में था उसके के कोई
उसे रोक पायेगा नही
अपनी मर्जी से सब को
बंदी बनाने से बाज़ आएगा नही
उसकी गलतफहमी थी ये
इसलिए वह अपनी नजरों से
बच पाया नही शीशे के सामने
बैठा वो नजरों को झुकाए
काश किसी को पता ना
चलता मैं कैसा हूं।।
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