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बहुत कुछ लगता है
बहुत कुछ लगता है
ऐसा नहीं की जीवन बहुत सरल है
हर मनुष्य में अनेकों अंतर्द्वंद्व होते है
जरुरी नहीं की सही या ग़लत का हो
जरुरत और मजबूरी का भी होता है।
संघर्ष लगता है, स्थिति से उबरने में
प्रयासों के सिद्ध और सफल होने में
तथ्यों को पूर्ण रुप से प्रकट होने में
मंजिल को जानने और पहुंचने में।
धैर्य लगता है, सोच को दिशा मिलने में
विचारों के परिपक्व हो जाने में
सच्चे सिद्धान्तों को पूर्णत: जानने में
सही ज्ञान और दृष्टि के मिलने में।
वक्त लगता है, मानव को संवरने में
कोयले को चमकता हीरा बनने में
प्रकृति के नियमों को पूर्णतः जानने में
जीवन के मूल्यों का अहसास होने में।
त्याग लगता है, मन पर विजय पाने में
स्वार्थ से ऊपर जीवन को संवारने में
सत्य की राह पर अकेले चलने में
स्वयं और ईश्वर की खोज करने में।
अंततः हर अंतर्द्वंद्व सुलझ ही जाता है
मानव प्रबुद्ध पथ पर अग्रसर हो जाता है
जीवन के प्रयोजन को समझ पाता है
जीवन मंथन से अमृत निकल आता है।
© Dr Pawan Kumar Pokhariyal
ऐसा नहीं की जीवन बहुत सरल है
हर मनुष्य में अनेकों अंतर्द्वंद्व होते है
जरुरी नहीं की सही या ग़लत का हो
जरुरत और मजबूरी का भी होता है।
संघर्ष लगता है, स्थिति से उबरने में
प्रयासों के सिद्ध और सफल होने में
तथ्यों को पूर्ण रुप से प्रकट होने में
मंजिल को जानने और पहुंचने में।
धैर्य लगता है, सोच को दिशा मिलने में
विचारों के परिपक्व हो जाने में
सच्चे सिद्धान्तों को पूर्णत: जानने में
सही ज्ञान और दृष्टि के मिलने में।
वक्त लगता है, मानव को संवरने में
कोयले को चमकता हीरा बनने में
प्रकृति के नियमों को पूर्णतः जानने में
जीवन के मूल्यों का अहसास होने में।
त्याग लगता है, मन पर विजय पाने में
स्वार्थ से ऊपर जीवन को संवारने में
सत्य की राह पर अकेले चलने में
स्वयं और ईश्वर की खोज करने में।
अंततः हर अंतर्द्वंद्व सुलझ ही जाता है
मानव प्रबुद्ध पथ पर अग्रसर हो जाता है
जीवन के प्रयोजन को समझ पाता है
जीवन मंथन से अमृत निकल आता है।
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