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वो खास लोग
कुछ लोगों को मैंने
बार बार मुड़ के देखा है..!
अक्सर उनकी गलतियों को
नज़रंदाज़ किया है..!
ना जाने क्यों दिल उनसे
दूर जाना नहीं चाहता..!
इसीलिए दिल का एक एक टुकड़ा
मैंने उनके आगे बिखेर दिया है.!
वो कुछ लोग रूठ भी जाएँ,
तो गिला नहीं करता मैं,
उनको मनाने के लिए,
शायरी का लफ्ज़ छेड़ दिया है..!
क्या करूँ..!
उनकी नाराज़गी देखी नहीं जाती,
इसी वजह से खुद की नाराज़गी को,
मैंने कोसों दूर फेंक दिया है..!
© deep_k_lafz
बार बार मुड़ के देखा है..!
अक्सर उनकी गलतियों को
नज़रंदाज़ किया है..!
ना जाने क्यों दिल उनसे
दूर जाना नहीं चाहता..!
इसीलिए दिल का एक एक टुकड़ा
मैंने उनके आगे बिखेर दिया है.!
वो कुछ लोग रूठ भी जाएँ,
तो गिला नहीं करता मैं,
उनको मनाने के लिए,
शायरी का लफ्ज़ छेड़ दिया है..!
क्या करूँ..!
उनकी नाराज़गी देखी नहीं जाती,
इसी वजह से खुद की नाराज़गी को,
मैंने कोसों दूर फेंक दिया है..!
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