...

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माँ.... माँ की याद...
धरती पर आने से पहले ही जिसके साथ संबंध बना होता है l जिसके बिना हम एक पल रह नहीं पाते l जिसकी महिमा कहने के लिए नारायण के पास भी शब्द नहीं l
" माँ "
कुछ अभागे होते है जिन पर माँ के आँचल की छाँव नहीं रहती l जिंदगी की हर थकान पर माँ की गोद की गर्माहट और उसके स्पर्श को तरसते हुए अभागे हृदयों की पीड़ा और भावों को पिरोने की एक कोशिश इस कविता में की है......

बेवजह भी डांटना, और आँसू बहाना
लगा कर कलेजे से, हर दुख भुलाना

ना कहना कभी कुछ, खामोश रहना
आँखों ही आँखों में हिदायत कर देना

दिखाना लापरवाह मगर ख्याल रखना
दर्द की शिकन को खुद ही पढ़ लेना

याद आता है वो हर लम्हा जो बीत गया
तेरे आँचल की छाँव में हर सुकूँ पा जाना

वक्त गुजर गया और राहे जुदा हो गई
दी हर सदा का अब यूँ लौट कर आना

तरसता है मन, फिर उसी उम्र को पाना
छोड़ इस जहाँ को, तेरी गोद में सो जाना

थक गए बहुत, अब शक्तिहीन हुआ मन
चाहता है ये अंश अब फिर तुझमे समाना


© * नैna *