...

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Bhikra sa.....
#पुष्पों_के_गुप्त_रहस्य
इत्र मुझसे बनते है,हर उत्सव में शामिल हूं
मुझे लोगों को पहनाए जाते उनकी सम्मान बढ़ाने को
फिर देखता मुझे कौन है ?, मैं धागों में उलझा मिलता हूं...
यूं हर मंजर में काम आता हुं ....
फिर भी ये लोग है
मुझे अक्सर यूं ही फेंक दिया करते हैं
मैं लोगों को सम्मान देता हूं
पर मुझे सम्मान न मिलता है
हर ज़नाजे में शामिल हुं,पर मुझे सुकू की विदाई मिलती नहीं.....
क्यूं करते तुम हो ऐसा? मैं भी किसी से बिछड़ कर आया हूं.... दफना देते हो मुर्दों को पर मेरे तरफ़ कोई देखता नहीं....
© anonymous writer