"बीते दो हसीन पल "
आखों में एक सपना था, कुछ आशाएं बनी थी, कुछ उम्मीदें कायम हुई थी, महफिलें सजाई गयी, तन्हाई में हमको रोना भी आया था, दोस्तों ने यारी सिखाई, और लोगों ने जिंदगी जीना, कुछ लोगों ने दुनिया का रंग दिखाया, तो कुछ लोगों ने अपना,
वो भी एक ऐसा दोर आया था जब हमने दिल भी लगाया, ओर दिल हारा भी।
यूं तो वो पल सुनहरे भी थे, चुकीं बात तो बनारस की यादों की है, नाम ही बहुत है जिंदगी का हर लम्हा यहां प्यारा सा है, तो मेरे प्यारे दोस्तो ये दो...