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स्त्री
दहलीज पर बैठे
अपनी चुप्पी को समेटे
एक स्त्री आज भी प्यार में
अपना आत्मसम्मान तलाशती!!
सदी के इक्कीसवीं में भी
भंवर के रंग में वो डूबती
अपने अस्तित्व से ज्यादा
अपनी दहलीज को वह ढूंढती!!
रिश्तो के कुरुक्षेत्र में
विश्वास के गणित में
स्वयं और अपनों के बीच
वो कई बार शहीद होती!!
तन के भूगोल पर
सौंदर्य के भूपटल पर
दहेज के दुर्दंश पर
हरबार वो बलि चढ़ती
सपनों में पंख लगा कर
अपने परिवार का बोझ उठाकर
मां-बाप और ससुराल के बीच
वो अपना एक घर तलाशती !!
अपनी चुप्पी को समेटे
एक स्त्री आज भी प्यार में
अपना आत्मसम्मान तलाशती!!
सदी के इक्कीसवीं में भी
भंवर के रंग में वो डूबती
अपने अस्तित्व से ज्यादा
अपनी दहलीज को वह ढूंढती!!
रिश्तो के कुरुक्षेत्र में
विश्वास के गणित में
स्वयं और अपनों के बीच
वो कई बार शहीद होती!!
तन के भूगोल पर
सौंदर्य के भूपटल पर
दहेज के दुर्दंश पर
हरबार वो बलि चढ़ती
सपनों में पंख लगा कर
अपने परिवार का बोझ उठाकर
मां-बाप और ससुराल के बीच
वो अपना एक घर तलाशती !!
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