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गिरिधर
#Abhishek maurya
मथुरा में जन्म लिया जिसने
पर वृंदावन हरसाया था
देखी थी जिसकी राह नन्द ने
वो कुल का चिराग घर में आया था
आंखो की चमक से जिसने
चन्द्र का तेज दबाया था
होठ थे जिसके कमल पंखड़ी
बालक वो कृष्ण कहलाया था
भूतना हो या वकासुर दानव
सबको बचपन में ही धूल चटाया था
देख दंग थे गोकुल वासी
ये कैसा शौर्य उभर कर आया था
तांडव करके नाग कालिया पे
एक अद्भुत दृश्य दिखाया था
क्रोध से देव इन्द्र के वृंदावन को बचाया था
जब धारण किया गिरी कनिष्का पे
नाम उनका गिरिधर कहलाया था
गोपियों संग रास रसाय जिसने
पर राधा पे सब कुछ लुटाया था
कंस मर्दन करके जग तुमने बचाया था
तेरी लीला देख धरती अम्बर भी हरसाया था
© Abhishek maurya
मथुरा में जन्म लिया जिसने
पर वृंदावन हरसाया था
देखी थी जिसकी राह नन्द ने
वो कुल का चिराग घर में आया था
आंखो की चमक से जिसने
चन्द्र का तेज दबाया था
होठ थे जिसके कमल पंखड़ी
बालक वो कृष्ण कहलाया था
भूतना हो या वकासुर दानव
सबको बचपन में ही धूल चटाया था
देख दंग थे गोकुल वासी
ये कैसा शौर्य उभर कर आया था
तांडव करके नाग कालिया पे
एक अद्भुत दृश्य दिखाया था
क्रोध से देव इन्द्र के वृंदावन को बचाया था
जब धारण किया गिरी कनिष्का पे
नाम उनका गिरिधर कहलाया था
गोपियों संग रास रसाय जिसने
पर राधा पे सब कुछ लुटाया था
कंस मर्दन करके जग तुमने बचाया था
तेरी लीला देख धरती अम्बर भी हरसाया था
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