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विचार ही तो हैं
विचार ही तो हैं जो अंतर्मन को व्यथित करते जाते हैं, बिना किसी के कुछ कहे कभी मुस्कान तो कभी अश्रु दे जाते हैं।
कभी अंतर्मन प्रफुल्लित हो उठता है तो कभी वेदना प्रतिबिम्बित कर देते हैं।
कभी रात्रि की शान्ति सा मन तो कभी शोरगुल भरी सुबह सा।
विचार ही तो हैं जो कभी सुख के छड़ याद दिलाकर मीठी सी मुस्कान बिखेर जाते हैं तो कभी कड़वी बातें याद दिलाकर दुख का कारण बन जाते हैं।
अंतर्मन में पूर्णता समाहित होने से पूर्व इन्हें विदा होने दो।
विचार ही तो हैं इन्हें विचार ही रहने दो।
आराधना


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