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वो अजनबी
ना मैं तुमसे मिलती
ना ये मोहब्बत होती
ना तुम दूर जाते
और ना हमें शिक़ायत होती
अजनबी लगते हैं सारे के सारे
और वो अजनबी होकर भी
अपना सा लगता है
उस शख़्स का मुझसे
जन्मों का रिश्ता सा लगता है
फासले दुश्मन बने हुए हैं
इश्क़ है की बड़ता जा रहा है
वो अजनबी मेरी रूह में
समाता चला जा रहा है
© rõõh
ना ये मोहब्बत होती
ना तुम दूर जाते
और ना हमें शिक़ायत होती
अजनबी लगते हैं सारे के सारे
और वो अजनबी होकर भी
अपना सा लगता है
उस शख़्स का मुझसे
जन्मों का रिश्ता सा लगता है
फासले दुश्मन बने हुए हैं
इश्क़ है की बड़ता जा रहा है
वो अजनबी मेरी रूह में
समाता चला जा रहा है
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