...

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मेरी सजीव गुड़िया
कभी नहीं मांगी मैंने पापा से,
गुड़िया वो खिलौनों वाली,
उमापति ने दे रखी है एक गुड़िया,
साथ हंसने रोने वाली।
आज ही है वह दिन,
जब आई थी धरा पर मेरा खिलौना बन कर।
इस दिन महादेव ने मेरी पहली विधि स्वीकारी थी।
सुबह हंसती मुस्कुराती रहे मेरी गुड़िया रानी,
बस इतना ध्यान रखें त्रिपुरारी,
इसी कामना में छिपी है जन्मदिन की बधाई तुम्हारी।
© kalyani