...

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अधूरी दास्तान
जब ये मिट्टी की काया राख होगी
आंखो में तेरी फिर वही चमक
होठों पर मीठी मुस्कान होगी
बदलो के बीच खिलती धूप
और रेगिस्तान में भी बरसात होगी
जब मेरी सुनी पड़ी बगिया के फूल खिलेंगे
हा तब हम फिर मिलेंगे।