...

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मुखौटे
मुखौटा हजारों लोगों को देख पलटा हुं
अंदर क्या उस मुखोटे
के किसी को न बतलाता हुं
जिस दिन टूटा मुखौटा एक भी
शायद ही लोग देख पाएंगे
सहमा सा रह कर ये,
किसी मुखोटे में भीति रहता हुं
शायद कभी ये लोग भी बदल जायेंगे
मुझे अधूरा सा देख कर ....
मुखौटे तो वो भी बदलते होंगे
मुझे ये टूटा देख कर
© anonymous writer

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