...

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नश्वरता
माया की इस नगरी में,सब कुछ बदलता रहता है।
बचपन बीता आई जवानी,यह पल भी निकलता रहता है।।
यह नश्वरता की दुनिया है,नश्वर हमारी काया है।
आज,अभी और इस पल को जी लो,सब पिघलता रहता है।।