...

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ये सनसनी हवाएँ...!!!
ये सनसनी हवाएँ, गुनगुनाती कहानियाँ,
बोलती हैं चुपचाप, छुपी हुई निशानियाँ।

फिजाओं में घुली, अनकही ये रस्में,
धड़कनों में बसी, सुनहरी ये जज़्बातें।

चंचल ये हवाएँ, खामोश सी बातें,
अनकही कहानियाँ, उजली सी रातें।

हर झोंके में छुपा, एक नया अफसाना,
पलकों पर रखे, सपनों का खजाना।

हवाओं की ये रुत, महकती फिजाएँ,
दिल की गहराइयों में, बसी ये सदाएँ।

सदियों से गूंजती, ये सनसनी हवाएँ,
रहस्यमयी सी बातें, रूहानी ये सदाएँ।
© 2005 self created by Rajeev Sharma