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रिमझिम बूँदों में एक सफर, साइकिल के साथ...!!!
रिमझिम बूँदों में एक सफर, साइकिल के साथ,
भीगी राहों पर चलते, जैसे हो कोई मधुमास।

हर बूंद की ठंडी छुअन, मन को भाये,
साइकिल की घंटी, बारिश में गीत गाये।

सड़कों पर बिछी हरियाली, धरती का श्रृंगार,
संग साइकिल के, देखो, प्रकृति का त्यौहार।

आकाश में घने बादल, प्रेम के संदेश लाये,
हर पेड-पौधा नाचे, जैसे सबका मन बहलाये।

साइकिल के पहियों का घुमाव, जीवन का चक्र,
रिमझिम की ये बूँदें, जैसे सुख-दुःख का मंत्र।

भीगी हवाओं में घुला, एक अद्भुत सा संगीत,
साइकिल के संग ये सफर, जीवन का अंश, अतीत।

हर मोड़ पर एक नई खुशी, हर राह में एक नया रंग,
रिमझिम बूँदों के संग-संग, साइकिल का ये अनोखा संग।
© 2005 self created by Rajeev Sharma