...

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अभी खुद से अंजान हूं मैं,....
सपनों के पंखों से, आसमान को छू लूं मैं
हौसलों की उड़ान से, मंजिल को पा लूं मैं
अपनो की पहचान हुं मैं,
अभी खुद से अंजान हूं मैं,....!!

ख्वाबों से जिंदगी को, सजा लूं मैं
रूठे हुए अपनों को, मन लूं मैं
रिश्तों को नई मिठास हूं मैं,
अभी खुद से अंजान हूं मैं,...!!

खुद से खुद को, जान लूं मैं
लोगों को पहचान लू मैं,
ख़ुशियों की नई बहार हूँ मैं,
अभी खुद से अंजान हूं मैं,....!!