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यह भी चला जाएगा- यह सूत्र समझने का कम और प्रयोग में लेने का ज्यादा है ।
बुद्ध के पास एक शिष्य गया और कहने लगा मुझे कोई ऐसा सूत्र दे दें जिससे मैं कभी डगमगाऊँ नहीं, मैं अप्रभावित हो जाऊँ मुझे कुछ छू न सके - तो बुद्ध कहते हैं, एक ही सूत्र याद रखो - “ यह भी चला जाएगा” चाहे सुख हो तो भी यही बात याद रखो - यह भी चला जाएगा और चाहे दुःख हो तो भी यही बात याद रखो
“ यह भी चला जाएगा “ क्योंकि जैसे ही कोई व्यक्ति इस सूत्र को अपने चित्त में बैठा लेता है तो वह मनस्वी हो जाता है, अर्थात् अप्रभावित हो जाता है, क्योंकि यहाँ सब बह रहा है, कुछ भी रुक नहीं रहा, इसी अवस्था को कृष्ण योगी की अवस्था कहते हैं, अप्रभावित होने की अवस्था ।।