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तुझ में खामी
कौन कहता हैँ तुझ मैं हैँ खामी
हक़ीक़त और सपनो के बिच है ये डर का पानी
सिर्फ सोच के फर्क की है ये कहानी
एक कमजोर होता दूसरा महा ज्ञानी
दोनों की सोच एक ही अंत तक जाना
एक देखता दिन भर भिन्न भिन्न चीज को पाना
एक बुनता सिर्फ एक ही सपने का बाना
कभी सबसे ज्यादा पैसे कमाना
कभी किसी सुंदर लड़की पाना
कमजोर का दिन भर व्यर्थ सोच कर गवाना
महान का एक ही सपने में दिन भर लीन हो जाना
सब पर लदा है डर का भार
हक़ीक़त मैं रचा हैँ ख्वाबो से ये संसार
ताज महल हो या हो फिर चार मीनार
सोचा था किसी ने पहले ख्वाब में यार
हर चीज संसार की लिखी मानकर
अंक अक्षर दिशा और रेखा मानकर
लिखते गये हर चीज मान मानकर
सिदाँत लिख दिए सच जानकर
© pawan kumar saini
हक़ीक़त और सपनो के बिच है ये डर का पानी
सिर्फ सोच के फर्क की है ये कहानी
एक कमजोर होता दूसरा महा ज्ञानी
दोनों की सोच एक ही अंत तक जाना
एक देखता दिन भर भिन्न भिन्न चीज को पाना
एक बुनता सिर्फ एक ही सपने का बाना
कभी सबसे ज्यादा पैसे कमाना
कभी किसी सुंदर लड़की पाना
कमजोर का दिन भर व्यर्थ सोच कर गवाना
महान का एक ही सपने में दिन भर लीन हो जाना
सब पर लदा है डर का भार
हक़ीक़त मैं रचा हैँ ख्वाबो से ये संसार
ताज महल हो या हो फिर चार मीनार
सोचा था किसी ने पहले ख्वाब में यार
हर चीज संसार की लिखी मानकर
अंक अक्षर दिशा और रेखा मानकर
लिखते गये हर चीज मान मानकर
सिदाँत लिख दिए सच जानकर
© pawan kumar saini
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