...

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आसान जिंदगी
बातें अब मन में रखने लगी हुं ज्यादा, तू था तो कहना आसान था।।
दर्द तो अब भी हैं कई, तू था तो सहना आसान था।
जिंदगी तो गुजर जाती है वक्त के साथ, तू था तो रहना आसान था।।
पर आसन जिंदगी तुझे मंजूर कहां थी।
अपना बिछड़ना शायद कुदरत की रजा थी।
समझ नही आता तेरे जाने पर रोऊं,या उस कुछ पल के साथ की खुशी मनाऊं।
किस स्तिथि से गुजरी हूं खुद नहीं समझी ,तुझे क्या समझाऊं।
बिन पूछे दिल का हाल कितना ही बताऊं।
तेरा यूं दूर जाना कुदरत की मंजूरी दी,
शायद मेरी कुछ ख्वाहिशें अधूरी रहनी भी जरुरी थी।
दुआ अब यही है,जितना तूने मुझे हसाया
रब तुझे उसका दोगुना हसाये।
और जितना मैं रोई हू तेरे लिए, उस आंसू का एक कतरा भी तेरी आंखों में न आए।