ग़ज़ल
कहाँ किसी को कभी दिखे हैं उदास चेहरे
तमाम चेहरों में छिप गए हैं उदास चेहरे
ये ख़ुश-ख़िसाली का बस नहीं है समझ ले मुझको
मिरी उदासी समझ रहे हैं उदास चेहरे
उदास होना बुरा नहीं है ये ख़ूब...
तमाम चेहरों में छिप गए हैं उदास चेहरे
ये ख़ुश-ख़िसाली का बस नहीं है समझ ले मुझको
मिरी उदासी समझ रहे हैं उदास चेहरे
उदास होना बुरा नहीं है ये ख़ूब...