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ज्ञानी की अवस्था
ज्ञानी व्यक्ति के जीवन में जैसे ही दुःख आता है, जैसे ही कोई दर्द आता है तो ज्ञानी तुरन्त घड़ी की ओर देखता है, और सोचता है सुख आता ही होगा, सुख में भी ज्ञानी यही करता है - जैसे ही सुख आता है तो सोचता है यह भी चला जाएगा दुःख आता ही होगा, इस प्रकार के निरंतर मानसिक अभ्यास से ज्ञानी अप्रभावित होता है, फिर उसे न तो सुख में कोई रस आता है, न दुःख में दर्द होता है।
इस अभ्यास से व्यक्ति अप्रभावित हो जाता है, प्रभाव पड़ना ही बन्द हो जाता है।कृष्ण ऐसे ही व्यक्ति को मनस्वी कहते हैं, जिसे कोई फर्क ही न पड़े।
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