...

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इश्क़ तो किया था
इश्क़ तो किया था जब उसने दी मुझे वो नजर,
दिल था बेकरार, रूह थी उदास मगर।

जलवे उसके मोहब्बत के भरे,
लहराए दिल मेरे सपनों के परिंदे।

पलकों पे था जो ख्वाब उनका सजा,
क्यों भूला नहीं जाता है वो वो दिन जब सब कुछ था सजा।

मेरी रूह तक छू गया था उसका प्यार,
पर किसी वजह से बिछड़ना हुआ बेहाल।

इश्क़ की राहों में रोज़ खो जाती हूँ,
उसकी यादों में आज भी तड़पती हूँ।

क्या फायदा इश्क़ का जिसमें बिछड़ना हो,
मेरे दिल को तोड़ कर उसने ही छोड़ दिया है वो।

इश्क़ की राहों में धोखा मिला है मुझे,
पर जिंदगी का सफर अभी बाकी है मुझे।
© Simrans