...

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इल्जाम-ए-मोहब्बत💝
एक चोट दिल पर गहरी लगा गए,
मानो मौत की सजा सुना गए ।
ये सच हैं की ये जख्म कभी भरेगा नहीं .
दिल दुबारा किसी से प्यार करेगा नहीं।
हाँ ये सच हैं की तेरे जाने से ये दुनिया बेगानी लगती हैं.
मेरी दास्ताँ सुनने वालों को ये फकत एक कहानी लगती हैं।
जख्म अब भी गहरा हैं ताजा हैं और रहेगा हमेशा .
देखने वालों को मेरी चोट भी पुरानी लगती हैं।
ऐसा कोई दिन कोई वक़्त कोई पल नहीं जाता .
जिसमें मुझे तेरा ख्याल नहीं आता।
नींद से जैसे कोई दुश्मनी सी हो गयी हैं.
सीने मे सासों की कमी सी हो गई हैं।
अब कोई और छुएगा तुझे ये सोच के पल पल मरता रहता हु.
कविताएँ लिखता हु और उसे रात भर पढता रहता हूँ।
अगर मेरी यादों से तेरी आजादी हो जाए.
किसी और से अगर तेरी शादी हो जाए।
फिर हो सके तो मेरे इश्क का मुझे दाम देना.
अपने बेटे को मेरा ही नाम देना।
अपने बेटे को मेरा ही नाम देना।।

💝💝💝🥀🥀🥀😊😊😊


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