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चाँदनी रातें
चाँद खिड़की के झाँका चाँदनी रातें जादू जगाने लगी
देखकर ये खूबसूरत नज़ारा फिर नींद मेरी जाने लगी
डायरी यादों की जैसे खोली चाँदनी जगमगाने लगी
शरारतें बचपन की आवाज़ देकर मुझे बुलाने लगी
चाँदनी रात में तारे कुछ कहानी मेरी लिखने लगे
मुझे ख़्यालों में खोया देख सब मुझे जगाने लगे
कब से कुछ लिखा नहीं कलम ने तेरी बताने लगे दास्ताँ क्यूँ नहीं लिखी अपनी जुबानी सुनाने लगे
लिखी अपनी हाजत ए नाकाम पुरानी मैं दिखाने लगी
हैराँ से ताकने लगे तारे अश्कों को जो मैं छुपाने लगी
सुन मुश्किलें सारी तेरी एक पल में जाने लगेंगी ख़ुशी ओ राहतें तेरी ओर बढ़कर आने लगेंगी
रब जो कुन कह दे तो फिर क्या नहीं मुमकिन
करें सब मिलकर दुआ जिंदगियाँ मुस्कुराने लगेंगी
NOOR E ISHAL
© All Rights Reserved
देखकर ये खूबसूरत नज़ारा फिर नींद मेरी जाने लगी
डायरी यादों की जैसे खोली चाँदनी जगमगाने लगी
शरारतें बचपन की आवाज़ देकर मुझे बुलाने लगी
चाँदनी रात में तारे कुछ कहानी मेरी लिखने लगे
मुझे ख़्यालों में खोया देख सब मुझे जगाने लगे
कब से कुछ लिखा नहीं कलम ने तेरी बताने लगे दास्ताँ क्यूँ नहीं लिखी अपनी जुबानी सुनाने लगे
लिखी अपनी हाजत ए नाकाम पुरानी मैं दिखाने लगी
हैराँ से ताकने लगे तारे अश्कों को जो मैं छुपाने लगी
सुन मुश्किलें सारी तेरी एक पल में जाने लगेंगी ख़ुशी ओ राहतें तेरी ओर बढ़कर आने लगेंगी
रब जो कुन कह दे तो फिर क्या नहीं मुमकिन
करें सब मिलकर दुआ जिंदगियाँ मुस्कुराने लगेंगी
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