...

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मोहब्बत के उसूल
छूट जाएगा फिर एक रोज ये सब

फिर एक रोज मुझे कोई अपनाने आएगा

फिर एक रोज बंद होगी मेरी आंखे

फिर एक रोज कोई मुझे उठाने आएगा

फिर दिल लगाने के मौसम आएंगे

फिर कोई दिल तुड़वा कर आएगा

फिर इन्हीं गलियों में कोई कली होगी

फिर उन कलियो का कोई भंवरा आएगा

फिर मोहब्ब्त किसी की जान ले लेगी

फिर एक रोज कोई मोहब्ब्त को अपनाएगा

मोहब्बत मैं आज भी कर सकता हूं किसी से

फिर एक रोज मुझे तेरे लिए रोना आएगा

कौन ये फिर तकलीफ उठाए काजल

तेरे जाने के बाद सपना सुहाना ना आएगा।

फ़िर तेरे लिए बेताब हो वो

फिर तुझ पर इल्ज़ाम आएगा

इतनी मशक्कत क्यूं करे कोई और किसके लिए

फिर एक रोज मोहब्ब्त दूसरे के घर डोली में जाएगा।

तू ही तो कहता था मुझ से इस जिंदगी में

मेरे सिवा कोई और ना आएगा

फिर ये अनमोल जीवन और सरस बातें

फिर तुझे मोहब्बत के उसूल कौन समझाएगा।

© kajal