...

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तुम कौन हो?
मेरे लिए मैं
सच कहूँ
तुम कौन हो?
तुम क्या हो मेरी?

पहली इबादत, मेरी आदत तुम
हक़ीक़त हो, तो अकीदत भी
तड़प भी तुम, आराम भी तुम
हौसला भी तुम, थकान भी तुम
कैसे कहूँ तुम क्या हो?

तुम बुनियाद, रब से मिली जायदाद भी
कभी क़यामत तो, कभी क़ायनात भी
कभी मुझसे दूर तो, कभी ज़ज्बात भी
होंसला भी तुम, तुम्हीं मेरे हालात भी
कैसे बताऊँ तुम कौन हो?

चाहे जहां देखूँ मैं
यहां वहां
हर कहीं.....
बस तू ही तू.
हाँ तू ही तू
तू आसमान और
मेरी ज़मीन भी तू
कैसे सुनाऊँ तुम कौन हो?

तुम धूप में, तुम छांव में
मेरी जिंदगी की हर राह में
मेरे भटकाव में, झुकाव में
तुम बर्फ़ सी, अलाव मैं
तेरे निशाँ, बस, तेरे क़दम
मैं तुम से तुम
तुम से ही हम
कैसे लिखूँ तुम कौन हो?


मेरी भूख में, मेरी प्यास में,
मेरे जिस्म में, मेरे मिजाज़ में,
मेरी चाल में, मेरे हाल में,
तेरा ही अक्स, तेरी छुअन
तुम ही सुलझी, तुम ही उलझन
ख़ाली भी तुम, तुम ही गहन
कैसे कहूँ तुम कौन हो?
कैसे कहूँ तुम शोर हो तुम मौन हो?

दिन में तुम, उजालों में तुम,
ख्वाहिश भी तुम, सवालों में तुम,
तुम यूँ सामने, यूँ ख्यालों में तुम
तुम साफ़ भी, जालों में तुम
कैसे कहूँ, कैसे कहूँ
तुम कौन हो?
तुम क्या मेरी?
तुम प्रीत भी तुम प्रेम भी
तुम नित भी तुम नेम भी
पूजू तुम्हें, चाहूँ तुम्हें
सच भी तुम
हर वहम भी......

मेरी सोच तुम
गहराई तुम.......
मेरा शोर तुम.....
मेरी तन्हाई तुम.....
बोलो
कैसे लिखूं तुम कौन हो
कैसे कहूँ, कैसे कहूँ
तुम कौन हो?
बस
मेरा अज्ञान तुम
मेरा ध्यान तुम
तुम तिमिर..... तुम रोशनी
तुम मोहिनी तुम जोगिनी

जो तुम नहीं मैं कहीं नहीं
मैं जिस्म हूँ पर जान नहीं
तुम मैं हो और .......
मैं, मैं नहीं
© सिफर